Monday 30 May 2022

उत्तर प्रदेश

 मेरे एक मित्र ने प्रश्न किया जानते हो उत्तर प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस को मात्र दो-ढाई % वोट क्यों मिले।

मैं उनका मुँह देख रहा था... फिर उन्होंने स्वयं ही उत्तर दिया...
जब कोरोना महामारी के समय उत्तर प्रदेश के मज़दूर अप्रेल और मई की धुप में कीड़े मकोड़ों की तरह सड़कों पर पैदल चलते हुए बिलबिला रहे थे, पुलिस उन्हें सड़कों पर पीट रही थी, उन्हें मुर्गा बना रही थी , वे ट्रेनों और ट्रकों के नीचे कुचले जा रहे थे तब कांग्रेस ने उनको घर जाने के लिए बिना उनका जाति धर्म पूँछे एक हज़ार बसें खड़ी कर दी थी।
जनता को मई की धूप में पैदल घर जाना पसंद था, उत्तर प्रदेश पुलिस के हाथों जुतियाया और लतियाया जाना उन्हें पसंद आया अत: जनता ने उन्हें वोट दिया जिन्होंने उन्हें उन बसों पर बैठने नहीं दिया। उत्तर प्रदेश की जनता को कीड़ों की तरह बिलबिलाना अच्छा लगता है।
पुलिस की लाठियां खाना और जुतियाया जाना उन्हें पसंद है।
कांग्रेस की मूर्खता तो देखो वह लोगों को ऑक्सीजन पहुँचा रही थी जबकि उत्तर प्रदेश की जनता खुश थी कि अपने परिवार जनों की मृत्यु पर उन्हें उनका अंतिम संस्कार नहीं करना पड़ रहा था। उनकी लाशें गंगा में फेंककर वह उत्सव मना रही थी। आख़िर गंगा में फेंक दिए जाने पर वे सीधे स्वर्ग जो जा रहे है । उत्तर प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को उनके स्वर्ग जाने में व्यवधान पहुँचाने की सजा दी और उसे वोट नहीं दिया।
उत्तर प्रदेश के दलित कांग्रेस को क्यों वोट दें ? कांग्रेस की मूर्खता तो देखो वह दलितों की बहन बेटियों के साथ हो रहे बलात्कार का विरोध कर रही थी जबकि दलित समाज ख़ुश हो रहा था अपनी बच्चियों के साथ बलात्कार पर। सुना है इन चुनावों में दलितों ने थोक में बीजेपी को वोट दिया।
किसानों ने सजा दी कांग्रेस को उसकी मूर्खता की। वे गन्ना किसानों को उनके गन्ने का मूल्य दिलवाने के समर्थन में खड़े हो जाते थे जबकि किसानों को अपने गन्ने के मूल्य की ज़रूरत ही नहीं।
जिस ज़िले में एक केंद्रीय मंत्री के बेटे ने किसानों को अपनी गाड़ी से कुचलकर मार डाला उस ज़िले के किसानों ने ख़ुश होकर BJP को इतना वोट दिया कि वहाँ की शत प्रतिशत सीट BJP जीत गई।
इससे यह साबित होता है कि किसानों को कुचला जाना पसंद है।
मुसलमानों ने कांग्रेस को वोट देने से तौबा कर ली है। कांग्रेस बिना वजह मुस्लिम समाज के अधिकारों की लड़ाई लड़ती है और पूरे देश में उस पर मुस्लिम परास्त होने का ठप्पा लगा है ।
इसी कांग्रेस की वजह से BJP ने आज उनका जीना हराम कर रखा है वरना BJP नेताओं से उनकी रोटी बेटी के संबंध हैं ।
उत्तर प्रदेश का बेरोज़गार नौजवान कांग्रेस से बहुत नाराज़ है। कोरोना महामारी में वे आराम से घर बैठे थाली पीट रहे थे, घंटी बजा रहे थे, बत्ती जला रहे थे और कांग्रेस है कि उनको घर बैठकर मौज नहीं करने दे रही है, शाम को ठेके पर बैठकर पाऊच नहीं पीने दे रही है और रोज़गार देने की बात करती है।
छात्र भी कांग्रेस से बेहद नाराज़ है। वह पढ़ने लिखने की बात करती है बेहतर विश्वविद्यालयों की बात करती है। JNU, BHU, DU, इलाहाबाद , जाधवपुर, जामिया मिलिया , लखनऊ , अलीगढ़ जैसे विश्वविद्यालयों के छात्रों के समर्थन में खड़ी हो जाती है जबकि अधिकांश नवजवान कांवड़ यात्रा में ख़ुश हैं, मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा पढ़ कर ख़ुश हैं।
उत्तर प्रदेश का ब्राह्मण योगी शासन में ब्राह्मणों की लगातार हो रही हत्याओं से अत्यंत प्रसन्न है।वे जानते हैं कि योगी शासन में मरने से ब्राह्मण, संत , पुजारी सीधे बैकुंठ जाएँगे अत: उनमें मरने की होड़ लगी है।
नमन

 "जो समाज गड़े मुर्दे उखाड़ता है उसके पास केवल सड़ांध बचती है" : मैक्सिम गोर्की

हमारे पुरखे कहते आए हैं : "बीती ताहि बिसार दे -आगे की सुधि लेहु"

जो देश या समाज सिर्फ़ अतीत के छिद्रान्वेषण में लग गया हो उनका कोई भविष्य नहीं होता है।
याद रखिए वे कौमें जिनके पास वर्तमान में अपनी सफलता के कोई इस स्मारक नहीं होते वे अपने झूठे अतीत में जीने की कोशिश करते हैं ।
जो लोग वर्तमान में जीते हैं और सुंदर भविष्य के लिए संघर्ष करते हैं उनका ही भविष्य सफल और सुंदर होता है।
हमारे देश के बारे में कहा गया है कि यहाँ का कंकड़ कंकड़ शंकर है। हम किसी भी पुरातन शहर की खुदाई करेंगे तो वहाँ देवताओं की मूर्तियां और बौद्ध स्तूप मिलेंगे। यह हमारा महान अतीत है , इस पर हमें गर्व होना चाहिए। परंतु अगर हम इस अतीत में जाकर जीने की कोशिश करेंगे तो वह हमारी मूर्खता होगी।
किसी ऐतिहासिक धरोहर के आस पास सैकड़ों वर्ष पहले कोई मंदिर या स्तूप रहा होगा तो इसका अर्थ यह नहीं होगा कि हम अब तमाम गिरिजाघरों, मस्जिदों व अन्य पुरानी इमारतों को ध्वस्त कर दें। वे तमाम इमारतें हमारी सांस्कृतिक धरोहर है और बदलते समय की निशानी है। हमें हमारे इतिहास की झलक दिखलाती है।
पिछले कुछ वर्षों से एक विचारधारा के लगातार कुप्रचार ने हमारी प्राथमिकताएं बदल दी है और हम अपने अतीत से संघर्ष कर रहे हैं। इससे हमारी प्रगति बाधित हुई है।

चूँकि किसी औरंगज़ेब ने हिंदुओं पर अत्याचार किए थे इसलिए हम आज तमाम मुसलमानों पर अत्याचार करेंगे यह कहाँ का न्याय है? औरंगजेब कि सेना के सेनापति राजा जय सिंह थे और उसकी सेना में लगभग ५०% राजपूत थे। फिर यह हिन्दू मुसलमान की लड़ाई कहाँ हुई?

बाबर राणा सांगा के निमंत्रण पर इब्राहीम लोधी से लड़ने भारत आया था किसी हिदू राजा से लड़ने नहीं । पानीपत की लड़ाई में महाराणा प्रताप की सेना में १०,००० मुसलमान अकबर की सेना के खिलाफ लड़ रहे थे और महाराणा प्रताप के सेनापति हाकिम खान सूर थे, जब की अकबर की फौज के सेनापति मान सिंह थेयह हिन्दू मुसलमान के बीच की लड़ाई नहीं थी जैसा कि कुछ कुपढ साबित करने की कोशिश कर रहे हैं
भारत की स्वतंत्रता की पहली लड़ाई हमने बहादुरशाह जफ़र के नेतृत्व में लड़ी थी। आज जो लोग हिन्दू बनाम मुस्लिम की राजनीती कर रहे हैं उनके पितामह डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी जिन्ना की बंगाल सरकार में मंत्री थे।

इतिहास से सीख कर पुरानी गलती फिर न दोहराने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए। अगर हम अपने अतीत से लड़ते रहेंगे तो कभी भविष्य के भारत का निर्माण नहीं कर सकेंगे। अतीत की बेड़ियाँ काटकर हमें बाहर आना होगा और भविष्य के अनंत आकाश में उड़ान भरनी होगी।

जो कौम इतिहास में जीती है वह ख़ुद इतिहास बनकर रह जाती है।
नमन

पलायन वाद

 

भारत में २०वीं शताब्दी के शुरु में एक नए दर्शन का उदय हुआ। यह उन्ही ब्राह्मणों के दिमाग़ की उपज था जो भारत पर बाहरी आक्रमण होने पर राजपूतों और अन्य लोगों के साथ मिलकर उसका सामना नहीं करते थे बल्कि मंदिरों में हवन और आरती करने लगते थे। ईश्वर को पुकारते थे कि वह उनकी रक्षा करेगा। इसी पलायनवादी विचारधारा की वजह से भी विदेशी आक्रान्ताओं ने भारत पर क़ब्ज़ा किया और हमें ग़ुलाम बनाया।
आज भी जब देश पर कोई आपत्ति आती है तो इस संगठन के लोग उसका सामना करने की जगह हवन, आरती, मंदिरों में घंटियाँ बजाने , थालियां पीटने और मोमबत्ती जलााने की बात करते हैं।
ये परशुराम या चाणक्य के वंशज नहीं थे। अपनी पारिवारिक, सामाजिक और देश की समस्याओं से भागकर अंग्रेजों की सहायता से ऐसे लोगों ने एक संगठन बनाया है जिसका नाम रखा "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ"।
जब देश के अधिकांश ब्राह्मण स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी आहुतियां दे रहे थे तब यह संगठन ब्रिटिश सरकार की चाटुकारिता कर रहा था। कष्ट और संघर्षों से डरने वाले लोगों का यह समूह था। जो लोग अपने  पारिवारिक ज़िम्मेदारी को छोड़कर इस संगठन में शामिल हुए वे मूलत: पलायनवादी थे।
अंडमान ज़ेल में ब्रिटिश उत्पीड़न को बर्दास्त न कर पाने वाले सावरकर और उनके परिवार ने १० से अधिक माफीनामे ब्रिटिश सरकार को लिखे और ब्रिटिश सरकार की शर्तों पर जेल से रिहा हुए। स्वतंत्रता आंदोलन में जेल गए सावरकर में रिहा होने पर एक किताब लिखी "दि हिंदू"। इस किताब में उन्होंने अंग्रेजों का विरोध नहीं किया था बल्कि मुसलमानों की ख़िलाफ़त की थी।
उसी काल खंड हेडगेवार जो स्वतंत्रता आंदोलन में कुछ महीने के लिए जेल गए थे , वे भी रिहा हुए।
सावरकर की इसी पुस्तक "दि हिंदू" को अपना मूल दर्शन मान कर हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की।
इस पलायनवादी संगठन ने एक सामाजिक संगठन का चोला पहन रखा था और राजनैतिक रूप से अंग्रेजों के इशारे पर काम कर रहा था।
इसके राजनैतिक मुखौटे हिंदू महासभा ने न केवल भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया, बल्कि मोहम्मद अली जिन्ना के साथ मिलकर बंगाल , सिंध और नॉर्थवेस्ट प्राविंस में सरकार बनायी और सिंध असेंबली में अलग पाकिस्तान का बिल पारित किया। यही से भारत विभाजन की नींव पड़ी।डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी जिन्ना की बंगाल सरकार में मंत्री थे और भारत विभाजन का समर्थन कर रहे थे।
इन्हीं ताक़तों ने पूरे देश में शिविर लगाकर भारतीय युवकों को ब्रिटिश फ़ौज में भर्ती कराया ताकि वे बर्मा बॉर्डर पर जाकर नेताजी की आज़ाद हिंद फ़ौज से लड़ सके।
इस पलायनवादी संगठन की विचारधारा मानने वाले राजनैतिक दल फिर चाहे वह जनसंघ हो, जनता पार्टी हो या भारतीय जनता पार्टीजब भी सत्ता में आए इन्होंने देश की मूल समस्याओं से अपना मुँह फेर लिया क्योंकि इनके खून में ही पलायनवाद है।
1977 में जब जनता दल की सरकार बनी जिसमें अटल बिहारी बाजपेयी और आडवाणी जैसे नेता मंत्री थे तब इन लोगों ने पाकिस्तान में काम करने वाली RAW की विशेष unit को ख़त्म कर दिया। इस सरकार के इस काम के लिए पाकिस्तान ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी भाई देसाई को पाकिस्तान का सबसे बड़ा पुरस्कार "निशाने पाकिस्तान" दिया।
आज अगर देश आतंकवाद से जूझ रहा है तो उसका सबसे बड़ा कारण यह रहा कि हमने अपनी जासूसी संस्था को पाकिस्तान में पंगु कर दिया।
इनके पलायनवाद का आलम यह है कि देश पर आर्थिक दबाव आया तो मोरारजी भाई ने देश का सोना बेच दिया।
अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में सरकारी होटल से लेकर सरकारी उद्योग को बेचे गए।
देश नहीं बिकने दूँगा का नारा लगाकर सत्ता में आए मोदीजी के आर्थिक कुप्रबंधन की वजह से सिर्फ़ कोरोना काल में देश को 50 लाख करोड़ रुपया का नुक़सान हुआ है यह रिज़र्व बैंक का कहना है।
अकर्मण्यता और पलायनवाद की हद यह है कि कांग्रेस द्वारा पूरे देश में जो रेल लाइन बिछाई और रेल्वे चलायी गई वह बनी बनायी रेलवे इनसे चलायी नहीं जा रही है और वे उसे बेच रहे हैं।
कांग्रेस ने टाटा से एयर इंडिया ख़रीदी थी और उसका विकास किया था।इनसे एयर इंडिया चलायी नहीं गई और इन्होंने टाटा को बेच दिया।
वे कांग्रेस द्वारा बनाए गए एयरपोर्ट बेच रहे हैं।
वे कांग्रेस द्वारा लगाए गए सरकारी उद्यम बेच रहे हैं।
इनके पलायनवाद की पराकाष्ठा यह है कि कोरोना बीमारी आने पर उसका सामना करने की जगह इन्होने लोगों से थालियां पिटवाई।
प्रधानमंत्री लोगों से मोमबत्ती जलाने की बात कर रहे थे।
चीन हमारी सीमा में घुसा आ रहा है परंतु उन्होंने उसकी तरफ़ से आंखें बंद कर ली है। "मूदहु आंख कतहुं कछु नाहीं" के दर्शन में विश्वास करने वाले इस संगठन ने पूरे देश में तबाही मचा रखी है।
पूरे देश को मिलकर इन पलायनवादी ताक़तों से लड़ना होगा वरना देश फिर से गुलाम हो जाएगा।
कोई ईस्ट इंडिया कम्पनी फिर से इस देश का अधिग्रहण कर लेगी।
जागो भारत -जागो!
जय हिंद!
नमन

कांग्रेस और सत्ता

 कांग्रेस ने सत्ता खोकर कुछ नहीं खोया, परंतु देश ने कांग्रेस को सत्ता से हटाकर बहुत कुछ खो दिया:-

१- लगभग 24 करोड़ लोग ग़रीबी की रेखा के नीचे चले गए।
२- बेरोज़गारी ने 50 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
३- देश के एयरपोर्ट बिक गए।
४- एयर इंडिया बिक गई।
५- रेलवे टुकड़े टुकड़े में बिक रही है।
६- 30, हज़ार व्यापारी देश छोड़कर विदेश में जा बसे।
७- रिज़र्व बैंक का कहना है कि मोदी सरकार की ग़लत नीतियों की वजह से कोरोना महामारी के समय देश को 50, लाख करोड़ का आर्थिक नुक़सान हुआ।
८- तीन दर्जन से अधिक सरकारी कम्पनियां बिक गई।
९- चीन भारत में घुस आया है।
१०- कश्मीर में आतंकवाद तेज़ी से बढ़ रहा है।
११- किसानों को आतंकवादी और छात्रों को देशद्रोही क़रार दे दिया गया है।
१२- सेना में 1,80,000 सैनिकों की भर्ती नहीं हुई है।
१३- देश को इस दशक में लगभग दो सौ लड़ाकू विमानों की ज़रूरत थी परंतु मात्र दस राॅफेल की आपूर्ति हुई है और तेजस के निर्माण की गति भी धीमी हुई है।
१४- डॉलर के मुक़ाबले रुपये की साख धराशायी हो गई है।
१५- हम विकासशील देश थे अब अविकसित देशों की श्रेणी में आते हैं।
१६- हमारी GDP ग्रोथ बांग्लादेश से भी कम है।
१७- शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों मोर्चों पर हम फेल रहे हैं।
१८- कांग्रेस ने अपने 60 साल के शासन में जितना बनाया था उसे बर्बाद कर दिया गया है।
आने वाली पीढ़ियों का भविष्य अंधकारमय हैं।
जयहिंद!
नमन

जम्मू- कश्मीर और अनुच्छेद 370


tnpsSeoam
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जम्मू- कश्मीर मे धारा 370 के प्रथम खंड को छोड़ कर बाकी दो खंड और 35-ए समाप्त।
* जम्मू- कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा समाप्त होगा ।
** लद्दाख और जम्मू- कश्मीर दो अलग-अलग केंद्र शासित राज्य होंगे ।
*** सारे भारतीय जम्मू-कश्मीर मे ज़मीन जायदाद खरीद सकेंगे।
मैं इस निर्णय का स्वागत करता हूँ मगर ...
1- क्या इससे जम्मू -कश्मीर मे आतंकवाद खत्म होगा।
2- क्या इससे कश्मीर मे पाकिस्तान से आने वाले आतंकवादी नहीं आयेगे ?
3- क्या भारत सरकार कश्मीर के साथ-साथ हिमांचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर भारत के 8 राज्यो (कुल 10 राज्य) मे सारे भारतीयों को ज़मीन खरीदने की इजाजत दे देगी ?
4- नयी जम्मू -कश्मीर विधान सभा मे पाक अधिकृत कश्मीर के क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कैसे होगा क्या यह सरकार बताएगी ?
अमित शाह जी का कहना है कि Artical 35-A की वजह से दूसरे राज्यों के लोग कश्मीर में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते, जिसकी वजह से जम्मू कश्मीर का आर्थिक विकास नहीं हो रहा है , वहाँ उद्योग नहीं लग रहे हैं, वहाँ शिक्षा संस्थान नहीं लग रहे हैं , वहाँ के लोगों को नौकरियां नहीं मिल रही है आदि आदि।
आर्टिकल 370 & 35A जम्मू-कश्मीर के लिए है ऐसा ही-
371A नागालैंड
371B असम
371C मणिपुर
371D आंद्रा
371E सिक्किम
371G मिजोरम
371H अरूणाचल
371I गोवा
बाहरी लोग हिमाचल और उत्तराखंड मे भी जमीन नही खरीद सकते।
केंद्र सरकार इन 10 राज्यों का भी क़ानून बदलकर इन राज्यों के विकास में अपना योगदान करे। क्या मोदी सरकार यह नहीं चाहती कि इन राज्यों का भी विकास हो, यहाँ भी उद्योग लगें, यहाँ के लोगों को भी नौकरियां मिले?
जम्मू कश्मीर और बीजेपी
5 और 6 अगस्त 2019 का दिन स्वतंत्र भारत के इतिहास मे मोदी सरकार द्वारा देश की जनता को एक और चाकलेट देने के लिए याद किया जायेगा। सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के मुख्य खंड (प्रथम खंड) को नहीं हटाया परन्तु देश की जनता को यह आभास कराया गया की अनुच्छेद 370 को पूर्णरूपेण हटा दिया गया है। जब की अनुच्छेद 370 का प्रथम खंड आज भी अस्तित्व में है।
सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के द्वितीय और तृतीय खंड को राष्ट्रपति के अध्यादेश द्वारा निरस्त करके मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 मे एक और संशोधन कर दिया है, अनुच्छेद 370 को पूर्णरूपेण हटाया नहीं है ।
असलियत यह है की 1954 से आज तक केंद्र की विभिन्न सरकारों ने जम्मू और कश्मीर की स्वायत्तता को धीरे- धीरे ख़त्म करने का प्रयास किया था। जब भी जम्मू -कश्मीर के स्थानीय नेता देश हित के आड़े आये तब तब केंद्र सरकार ने सख्त निर्णय लिए। यहाँ तक की पंडित नेहरु ने अपने प्रिय मित्र शेख अब्दुल्ला तक को नहीं बक्शा और कई साल जेल में रखा था। बिना जम्मू कश्मीर की जनता का दिल दुखाए 1954 के सशोधन, 1958 के संशोधन, 1959 के संशोधन, 1960 के संशोधन, 1964, 1965, 1966, 1968, 1971, 1986 आदि के संशोधनों द्वारा भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को धीरे धीरे निसप्रभावी कर दिया था ।
अब अनुच्छेद 370 के द्वितीय और तृतीय खंड को निरस्त करते हुए भारत सरकार ने जम्मू- कश्मीर राज्य का पूर्ण राज्य का दर्ज़ा उससे छीन लिया और उसे जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख नाम के दो केंद्र शासित प्रदेशों में बाँट दिया है।
सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के दो उपबंधों को हटाने के निर्णय का सर्वत्र स्वागत हो रहा है । परन्तु यह भी सच है की सरकार ने यह निर्णय लेते हुए संविधान की मूल भावना के खिलाफ काम किया। यह निर्णय अगर जम्मू और कश्मीर की जनता की इच्छाओं और आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए जम्मू - कश्मीर विधान सभा की सहमती से लिए जाते तो जम्मू - कश्मीर की जनता और पूरे विश्व में बेहतर सन्देश जाता।
संसद में इस अध्यादेश पर बहस के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने अध्यादेश के समर्थन में कई झूठ बोले और संसद एवं देश के अवाम को दिग्भ्रमित करने का प्रयास किया। अमित शाह द्वारा कही गयी कुछ बातों की चर्चा यहाँ करना मैं आवश्यक समझता हूँ।
अमित शाह जी ने बताया की अनुच्छेद 370 मे संशोधन की वजह से धारा 35-A समाप्त हो जाएगी और सारे भारतीय जम्मू -कश्मीर मे जमीन जायदाद खरीद सकेंगे । अमित शाह जी ने देश को यह बताना चाहिए की क्या भारत सरकार कश्मीर के साथ-साथ हिमांचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर भारत के 8 राज्यो (कुल 10 राज्य) मे भी सारे भारतीयों को ज़मीन खरीदने की इजाजत दे देगी ? या यह भेद भाव सिर्फ जम्मू कश्मीर के साथ है ।
असलियत यह है की जम्मू कश्मीर मे राज्य के बाहर के किसी भी व्यक्ति द्वारा ज़मीन खरीदने पर बंदी वहाँ के महाराज हरी सिंह ने 1927 से लगाई थी ताकि वहाँ जनसंख्या का दबाव न बढ़े और वहाँ का पर्यावरण प्रभावित न हो । जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश सहित जिन जिन 11 राज्यों मे राज्य के बाहर के व्यक्ति को ज़मीन को ज़मीन खरीदने पर रोक है वे सारे राज्य पहाड़ी हैं और वहाँ की मात्र 10 से 20 % ज़मीन रहने और खेती लायक है, बाकी दुर्गम पहाड़ और लेह जैसे रेगिस्तान हैं। अतः वे राज्य बढ़ती जनसंख्या का बोझ उठाने मे असमर्थ है।
अमित शाह ने बताया की धारा 370 की वजह से देश के अन्य प्रदेशों की तुलना में प्रति व्यक्ति तीन से पाँच गुना ज्यादा पैसा देने के बावजूद जम्मू और कश्मीर का विकास पूरे देश की तुलना में नहीं हुआ। यह बात सफ़ेद झूठ है।
जम्मू कश्मीर का क्षेत्रफल उत्तर प्रदेश का लगभग आधा है। क्या केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर को उत्तर प्रदेश का आधा या २०% पैसा भी विकास के लिए देती है। मेरा जवाब है नहीं। जब की पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण जम्मू - कश्मीर में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में कई गुना ज्यादा धन की जरूरत पड़ती है।
अमित शाह का आरोप था की अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर मे जो शरणार्थी देश के विभाजन के बाद से रह रहे हैं उन्हे देश की नागरिकता नहीं मिली है । उनका यह वक्तव्य कितना भ्रामक है यह इसी बात से साबित हो जाता है की एक तरफ बीजेपी आसाम मे बांग्लादेश से आए विस्थापितों को बाहर निकाल कर बांग्लादेश भेजने की बात करती है दूसरी तरफ पाकिस्तान से कश्मीर आए पाकिस्तानियों को कश्मीर मे बसाने के लिए मरी जा रही है ।
अमित शाह का आरोप था की अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकारों ने RTE नहीं लागू किया जिसकी वजह से लोग शिक्षित नहीं हुए. जबकि असलियत यह है की गुजरात जहाँ पिछले २० वर्षों से ज्यादा से बीजेपी की सरकार है एक समृद्व राज्य होने के बावजूद वहां सक्षरता दर ७२.१० % है , जब की तमाम आतंकवादी गतिविधियों और दुर्गम क्षेत्र होने के बावजूद जम्मू- कश्मीर में साक्षरता दर ६६.७०% है, जो गुजरात से थोडा ही कम है। दो वर्षों से ज्यादा जम्मू कश्मीर पर बीजेपी का शासन था , तब क्यों नहीं उन्होंने RTE लागू किया ?
अमित शाह का आरोप था की RTI लागू नहीं होने से वहां भ्रष्टाचार बढ़ा है। जबकि बीजेपी सरकार ने पूरे देश में RTI को कमजोर करने का काम खुद किया है। 2014 से 2019 तक केंद्र में बीजेपी की सत्ता है परन्तु उन्होंने लोकपाल तक की नियुक्ति नहीं की , क्यों? इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ बीजेपी की नीयत साफ नज़र आती है।
अमित शाह का आरोप है की अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू कश्मीर के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिली। जब की तथ्य यह है की जम्मू कश्मीर के लोगों की औसत आयु , देश की औसत आयु से ज्यादा है। क्या जम्मू कश्मीर की किसी सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए दी जाने वाली सहायता नकार दी थी ?
अध्यादेश पर चर्चा के समय पाक अधिकृत कश्मीर को भारत मे जोड़ने और अकसाईचीन को लद्दाख मे जोड़ने की बाबत कोई बयान नहीं देते हुये अमित शाह ने दोनों सदनों में ज़मकर बकवास की।
सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है की सरकार के इस निर्णय से देश को और जम्मू कश्मीर राज्य को क्या नफा -नुकसान हुआ है और क्या नफ़ा नुकसान भविष्य में हो सकता है।
देश को होने वाला फायदा -
१- पूरी दुनियां में यह सन्देश गया है की भारत अब आतंकवाद को बिलकुल बर्दास्त नहीं करेगा। इस निर्णय से प्रधान मंत्री मोदी की छबि एक कठोर निर्णय लेने वाले नेता की बनी है।
२- जम्मू और कश्मीर पर अब से केंद्र सरकार का पूर्ण नियंत्रण होगा और सरकार के निर्णय वहां लागू करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
देश को होने वाला नुकसान -
१- जम्मू -कश्मीर की जनता का भारत सरकार पर से विश्वास कम होगा।
२- जम्मू - कश्मीर के अराजक तत्व इस मौके का फायदा उठाएंगे और घाटी में आतंकवाद बढेगा।
३- अंतर राष्ट्रीय मंचों पर भारत की छबि एक ऐसे देश की बनेगी जो अपने आश्वासन और वचन नहीं निभाता।
४- अगर जम्मू कश्मीर में आतंकवाद बढ़ा तो देश को और शहादतें देनी होगी और देश का सुरक्षा खर्च बढ़ेगा ।
५- अगर आतंकवाद बढ़ा तो जम्मू -कश्मीर की अर्थव्यवस्था की कमर टूट जाएगी।
6- अगर आतंकवाद बढ़ा तो उसका खामियाजा कश्मीर के विद्यार्थियों को भी उठाना पड़ेगा ।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के प्रस्तुत बयान के बिना यह लेख अधूरा रहेगा ---
"हम सत्ता में रहें या विपक्ष में, फर्क नही पड़ता, हमें देश की चिंता है।
हमें पता हैं लोग अनुच्छेद 370 खत्म होने पर जश्न मना रहें है। हमें उस वक्त भी पता था जब नोटबंदी और जीएसटी पर लोग जश्न मना रहे थे लेकिन फिर भी हमने उसका विरोध किया, हमने कहा देश को नुकसान होगा जिसके चलते कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा, भाजपा को फायदा मिला लेकिन आप सबको पता है नोटबंदी और जीएसटी से देश का नुकसान हुआ था। बेरोजगारी 45 साल का रिर्कोड तोड़ कर बढा, अर्थव्यवस्था पांचवें स्थान से गिर कर सातवें स्थान पर पहुँच गई।
आज लोग जश्न मना रहें है, सभी पार्टियाँ भाजपा के साथ है। लेकिन फिर भी हम कह रहें हैं, भारत को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा,
भले आप सबको अभी लगता होगा कि फायदा है। लेकिन हमें पता है इससे फायदा नहीं देश को नुकसान होगा।
और हमें पार्टी की कुर्बानी मंजूर है लेकिन देश का नुकसान मंजूर नहीं है।"
अभी सिर्फ इतना ही। ईश्वर बीजेपी नेताओं को सद्बुद्धि दे और जम्मू कश्मीर की जनता को धैर्य ।
'नमन'

Thursday 19 May 2022

कहानी

मरहूम लोया को
याद करके
घबराहट में
बार बार
आ रहा है पसीना
अदालत की कुर्सी पर बैठे
जज साहब को...
थाने में बैठा दारोग़ा
थर थर कांपता है
मॉब लिंचिंग की डर से
कहीं उसका भी न हो जाए
सुबोध कांत सहाय
बलात्कार की शिकार लड़की
नहीं जाती पुलिस स्टेशन
नहीं लिखाती कोई शिकायत
डरती है कि मार डाला जाएगा
उसके पिता और परिवार को
भेज दिया जाएगा उसे जेल
ब्लैकमेलिंग के आरोप में
डरा सहमा हुआ व्यापारी
मौक़ा पाते ही
भाग जाता है विदेश
डर है उसे
ED द्वारा गिरफ़्तारी का
नहीं चाहता वह जेल जाना
डरा हुआ मुसलमान
बांटता है जुलूस में
पानी , फल और बिस्किट
डरता है जय श्रीराम का
नारा लगाने वाली भीड़ से
आख़िर उसका भी परिवार है
यह कहानी है रामराज्य की
महात्मा गांधी के स्वराज्यकी
पंडित नेहरू के प्रजातंत्र की
डॉ भीमराव अम्बेडकर द्वारा
संकलित संविधान से
चलने वाले देश की
नमन


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देश का दुर्भाग्य है कि
भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध करने वाले
राष्ट्र ध्वज जलाने वाले
राष्ट्र गीत का विरोध करने वाले
दे रहे हैं
मुसलमानो को पाकिस्तानी
सिखों को खालिस्तानी होने का सर्टिफिकेट
कह रहे हैं
आदिवासी नक्सल है
दलित-बैकवर्ड विद्रोही है
बुद्धिजीवी देशद्रोही है
किसान आतंकवादी है
छात्र ग़द्दार है
बेरोज़गार देश विरोधी हैं...

अंग्रेजों का दरबार बजाने वाले
राष्ट्रभक्ति और देशद्रोह का
सर्टिफिकेट बांट रहे हैं....
नमन

Friday 18 March 2022

 कपिल सिब्बल और G-23 के कांग्रेस नेता

पिछले कई बरसों से कांग्रेस की लीडरशिप और उसकी नीतियों का विरोध कर रहे हैं। उन्हें विरोध करने का पूरा हक़ है और उनके विरोध का स्वागत भी है।

परंतु इन नेताओं को पूरे देश के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को यह बताना होगा कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को बदलने के बाद वे कांग्रेस की दशा और दिशा में क्या परिवर्तन लाएंगे?
यह भी सच है कि जी -23 के ग़ुलाम नबी आज़ाद , कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी , आनंद शर्मा , शशि थरूर, मिलिंद देवड़ा, मुकुल वासनिक, पीजे कुरियन, वीरप्पा मोइली , भूपिन्दर हुड्डा , पृथ्वीराज चव्हाण जैसे नेता UPA -1 और 2 में केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री थे और इनमे से अगर कुछ को छोड़ दें तो बाकी ज़मींन से कटे हुए लोग हैं और इनकी अकर्मण्यता की वजह से 2014 में कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई थी।
क्या प्रदेशों में कांग्रेस की हार के लिए वहां के मुख्यमंत्रियों को ज़िम्मेदार नहीं माना जाना चाहिए?
जिन राहुल गांधी के ऊपर यह लोग सारा ठीकरा फोड़ते हैं वे UPA-1 और 2 में मात्र एक सांसद थे।
जब आप खुलकर कांग्रेस और कांग्रेस के अंदर गांधी परिवार के नेतृत्व का विरोध कर रहे हैं तो आपको खुलकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सामने कांग्रेस की वर्तमान नीतियों का विकल्प भी रखना पड़ेगा। आपको देश भर के काँग्रेस कार्यकर्ता को बताना होगा की किन नीतियों पर चलकर आप कांग्रेस को एक बेहतर पार्टी बना पाओगे ?
क्या आप कांग्रेस की मूल विचारधारा कोई परिवर्तन लाना चाहते हैं या सिर्फ़ कांग्रेस की वर्तमान कार्यप्रणाली को बदलना चाहते हैं, यह भी आपको पूरे देश के कार्यकर्ता को बताना पड़ेगा।
धार्मिक आतंकवाद के बलबूते पर BJP आज सत्ता में है। इन नेताओं को कांग्रेस कार्यकर्ताओं को यह बताना पड़ेगा कि वे BJP के धार्मिक आतंकवाद से कैसे लड़ेंगे।

मैं मानता हूँ आप सब वरिष्ठ अनुभवी नेता है और बुद्धिमान भी है कांग्रेस का आम कार्यकर्ता आपसे एक ऐसे प्रपत्र की उम्मीद रखता है जिसमें आप लोग अपनी पूरी बात उन तक पहुँचा सकें।
सिर्फ़ गांधी परिवार के विरोध से काम नहीं चलेगा। आपको यह साबित करना पड़ेगा कि आप लोग गांधी परिवार से अधिक संघर्षशील हैं, अधिक लोकप्रिय हैं, आपकी नीतियां उनसे बेहतर है और आप कांग्रेस को चुनाव जितवाने में उनसे ज़्यादा सक्षम हैं।

इन नेताओं को आत्मनिरीक्षण भी करना पड़ेगा कि सत्ता से अलग होने के बाद पिछले आठ वर्षों में कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं के संघर्ष में इन्होंने उनका कितना साथ दिया और उनके संघर्ष में इनका क्या योगदान है?
पिछले आठ साल में राहुल गांधी और पिछले कुछ वर्षों से प्रियंका गांधी ने पूरे देश में कांग्रेस की मशाल जलाए रखने के लिए जो संघर्ष किया है उस संघर्ष में इनमें नेताओं में अधिकांश कहीं शामिल नहीं दिखाई पड़े। मेरा मानना है कि अगर इन नेताओं ने अपनी पूरी ताक़त से कांग्रेस नेतृत्व का साथ दिया होता तो कांग्रेस आज इतनी बुरी हालत में नहीं होती।

इन नेताओं से विनती है-
आलोचनाओं में नई कुछ सूचनाएँ हों
भविष्य के संघर्ष की कुछ कल्पनायें हों।
देश और कांग्रेस का कैसे होगा मंगल
सूचनाओं में नई संभावनाएं हों।
ज़ुबानी जमाखर्च से कुछ भी नहीं होगा
त्याग और बलिदान की नव गाथाएं हों।
नमन

हिन्दी भाषी क्षेत्रों के चुनावों में कांग्रेस की लगातार हार के कारण:-

 हिन्दी भाषी क्षेत्रों के चुनावों में कांग्रेस की लगातार हार के कारण:-

* BJP जनमानस के बीच कांग्रेस की छवि एक मुस्लिम समर्थक पार्टी की बनाने में सफल रही है, जिसका सबसे ज़्यादा नुक़सान हिंदी भाषी क्षेत्रों में कांग्रेस को लगातार हो रहा है। जबकि असलियत यही है कि कांग्रेस ने हिन्दू और मुसलमानों में कभी भेद नहीं किया न किसी के साथ कोई पक्षपात नहीं किया है। कांग्रेस अपनी बात जनमानस को समझाने में असफल रही है.
* बाबरी मस्जिद के गिराए जाने के बाद से उत्तर प्रदेश, बिहार , बंगाल, महाराष्ट्र, सहित जिस राज्य में भी कोई दूसरा विकल्प मौजूद है मुसलमान वोटर कांग्रेस को वोट नहीं दे रहा है। मुसलमानों का युवा वर्ग कहता है कि कांग्रेस ने उन्हें 55 सालों में क्या दिया।
कांग्रेस नेता मुस्लिम युवकों को यह समझाने में असफल रहे हैं कि अगर उन्होंने विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय बनाए , इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज खोले तो वे क्या सिर्फ़ हिंदुओं के लिए थे। अगर कांग्रेस ने बांध बनाए, नहरे बनायी, सड़के बनायी, अस्पताल खोले, गाँव गाँव तक बिजली पहुँचाई , तमाम उद्योग लगाए तो क्या यह सब सिर्फ़ हिंदुओं के लिए थे।
* उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पिछले चुनावों में दलित महिलाओं और युवकों ने BJP को राम मंदिर के निर्माण का श्रेय देते हुए वोट दिया है जबकी असलियत यह है कि राम मंदिर के निर्माण में BJP का कोई योगदान नहीं है और यह बात BJP के सुब्रह्मण्यम स्वामी जैसे नेता कहते रहे हैं कि राम मंदिर निर्माण का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह है राजीव गांधी और नरसिंहराव।
आज जिस जमीन पर मंदिर बन रहा है वह 64 एकड ज़मीन कांग्रेस ने राम मंदिर निर्माण के लिए अधिग्रहित की थी।
बड़ी अजीब बात है कि मुसलमान यह मानता है कि बाबरी मस्जिद कांग्रेस के कारण गिरी और बाबरी मस्जिद की जगह राम मंदिर निर्माण की दोषी कांग्रेस है। वही हिंदू मानता है कि कांग्रेस राम मंदिर निर्माण के विरोध में है और हिंदू विरोधी है।

BJP हिंदीभाषी राज्यों के दलितों और पिछड़े वर्ग के नौजवानों को यह समझाने में सफल रही है कि कांग्रेस के सत्ता में आने से हिंदू ख़तरे में आ जाएगा।
* संविधान के अनुच्छेद 370 में 11 वें संशोधन को BJP ने अनुच्छेद 370 की समाप्ति का नाम देकर हिंदीभाषी वोटरों को भरमाया है और कांग्रेस यह संदेश देने में असफल रही है कि इसके पहले कांग्रेस अनुच्छेद 370 में 10 संशोधन कर चुकी थी।BJP ने सिर्फ़ 11वाँ संशोधन किया है।
* उतराखंड और उत्तर प्रदेश में निम्न वर्गों में "नून रोटी खाएंगे -BJP को लाएंगे" जैसे नारे ज़मीन पर लग रहे थे जिनकी वजह से कांग्रेस का विकास , बेरोज़गारी , क़ानून और व्यवस्था, स्वास्थ्य जैसे मुद्दे से पीछे रह गए और कांग्रेस के प्रति लोगों में समर्थन बढ़ने के बावजूद "हिंदू ख़तरे में है" के डर ने निम्न वर्ग को BJP को वोट देने के लिए प्रेरित किया।
UPA-1 और 2 के दौर में डॉ मनमोहन सिंह और उनके सहयोगी लगातार जनता से कटे रहे और BJP की अफ़वाह फैलाने वाली मशीन का जवाब नहीं दे सके।
डॉ मनमोहन सिंह द्वारा नियुक्त CAG, होम सेक्रेटरी, सेना प्रमुख आदि मनमोहन सिंह सरकार के ख़िलाफ़ षड्यंत्र रचते रहे और सरकार को पता तक नहीं चला। सरकार की नाक के नीचे दिल्ली में विवेकानंद फ़ाउंडेशन सरकार की जड़ों में मठ्ठा डाल रहा था और सरकार उससे अनभिज्ञ थी।
जी -23 के जो कांग्रेस नेता आज राहुल गांधी और गांधी परिवार को कांग्रेस की विफलता के लिए दोषी ठहरा रहे हैं वे तब केंद्र में मंत्री थे और सत्ता का सुख भोग रहे थे। इन लोगों ने कांग्रेस की साख बचाने के लिए 2004-2014 तक क्या किया था इसका जवाब उन्हें कांग्रेस कार्यकर्ता को देना होगा।

UPA-1 और 2 के समय कांग्रेस के जो नेता मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडलीय सहयोगी थे उनमे से अधिकाँश जनता से कटे हुए लोग थे जिसका फायदा बीजेपी ने उठाया और कांग्रेस के खिलाफ जबरदस्त अफवाह और झूठ फैलाया

एक और अहम् बात यह है की जी -२३ के नेता और सहयोगी कांग्रेस अध्यक्ष पर समय समय पर बीजेपी द्वारा लगाये गए लांछनो का न तो विरोध किया और न तो कांग्रेस अध्यक्ष के साथ खड़े दिखाई दिए. जाने अनजाने में यह लोग बीजेपी द्वारा कांग्रेस को कमजोर करने के प्लान का हिस्सा बन गए
अगर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से कोई गलतियां हो रही थी तो इन लोगों ने उस समय मंत्रिमंडल की बैठकों में ये प्रश्न क्यों नहीं उपस्थित किए?
नमन

कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार

 


कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार एक सच है।

खालिस्तान आंदोलन के दौरान पंजाब में हिंदुओं का कत्ल भी एक सच है।
परंतु जिन आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार किया क्या उन्होंने कश्मीरी मुसलमानों को बख़्शा। तब से अब तक लगभग बत्तीस वर्ष हो चुके हैं जिसमें15 वर्ष कांग्रेस सरकार और 17 वर्ष BJP और उनके समर्थक दलों की सरकार रही है। इन 32 वर्षों में कश्मीरी पंडितों की 25 गुना संख्या में कश्मीरी मुसलमान आतंकवाद का शिकार हुए हैं।
ऐसे ही खालिस्तान के आतंकवाद में अगर हिंदुओं की हत्या हुई तो सिख भी मारे गए।
जब आप केवल हिंदुओं की हत्या दिखाते हैं तो आधा सच दिखाते हैं। आप न सिर्फ़ देश के साथ ग़द्दारी करते हैं बल्कि मानवता के साथ भी ग़द्दारी करते हैं।
ISIS, तालिबान और अन्य मुस्लिम आतंकवादी संगठनों ने कुरान की बातों को तोड़ मरोड़कर इस्लाम को ग़लत ढंग से पेश किया औरमुसलमान युवकों का ब्रेनवाश किया।
इन संगठनों से जुड़े मुसलमान युवकों ने पिछले 4 दशकों में हजारो मस्जिदों का विध्वंस किया और 2 करोड़ से ज़्यादा मुसलमानों की हत्या की।
भारत में संघ परिवार के संरक्षण में कुछ हिंदू अतिवादी संगठन पिछले कई दशकों से वेदों , उपनिषदों और साधु- संतों के उपदेशों को तोड़ मरोड़ कर दिग्भ्रमित हिंदू नवयुवकों में जो विष बो रहे हैं वह हिंदुओं के विनाश का कारण बनेगा।
वे हिन्दू करेंगे और मुसलमान करेंगे
किसानों नौजवानों को बदनाम करेंगे।
वे देश बेच देंगे सियासत की आड़ में
भारत महान को वो फिर गुलाम करेंगे।
वो छीन लेंगे हमसे जल जंगल और ज़मीन
तुम सिर उठाओगे तो कत्लेआम करेंगे।
ग़द्दारों के राम बसते हैं नाथूराम में
वो गांधी और नेहरू को बदनाम करेंगे।
वे रावण के वंशज हैं और झूठ के हामी
वे छल-कपट से सत्य को बदनाम करेंगे।
नमन

Thursday 3 March 2022

जब भारत फिर से जागेगा।

 





चलो अब दर्द को हमदर्द बनाया जाए
ख़्वाब आँखों में जो सजते हैं मिटाया जाए।
दर्द ही साथ निभाएगा उम्र भर मेरा
दर्द को ढूँढ कर गले से लगाया जाए।
किसी से हमने मोहब्बत की बात की है अगर
उनसे विनती है मोहब्बत को भुलाया जाए।
तमाम आँसू ज़माने के मुझको दे मौला
इश्क मैंने किया है मुझको रुलाया जाए।
जिसको जो चाहिए भगवान उसे दे देना
‘नमन’ को ग़म के समंदर में डुबाया जाए।
नमन

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किससे रूठूँ कोई मुझको मनाता ही नहीं
मुझपे हक अपना कोई भी जताता ही नहीं।
मैं नहीं चाहता कि कोई भी मुझको चाहे
मैं जिसका हूँ वो मेरे पास अब आता ही नहीं।
वो सामने है मेरे पर जैसे कभी मिला ही नहीं
ऐसा लगता है उसको अब मुझसे वास्ता ही नहीं।
हमने जब प्यार किया लोगों ने व्यापार किया
दर्द भी अपना मुझको अब सताता ही नहीं।
वर्षों से उसने हमें अपना बना रखा था
हमें लगता है 'नमन' उसको अब भाता ही नहीं।
नमन

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तब भारत फिर से जागेगा ....
जब खून बहेगा सड़कों पर
आवाम सताया जाएगा।
नंगा किसान जब संसद पर
आवाज़ उठाने आएगा।
जब बहू बेटियों के कपड़े
सड़कों पर उतारे जाएंगे।
जब बलात्कारी हत्यारे
संसद में पाए जाएंगे।
रक्षक भक्षक बन जाएगा
और देश बेच कर खाएगा।
जब नौजवान बेकारों को
दौड़ाकर पीटा जाएगा।
जब जुल्मों सितम बढ़ जाएगा
जब झूठ ही सच कहलाएगा।
निर्मम सत्ता के जूतों के तले
मजलूमों को कुचला जाएगा।
तब न्याय की देवी की पट्टी
उन आँखों से हट जाएगी।
अन्यायी न्यायाधीशों को
जनता खुद सबक़ सिखाएगी।
तब केरल से कश्मीर तलक
एक जल-जला आएगा।
संसद की दीवारें काँपेंगीं ,
दिल्ली की किल्ली हिलेगी।
सत्ताधीशों की पगड़ी तब
जूतों पर उछाली जाएगी।
तब भ्रष्ट अफ़सरशाही की
होली जलायी जाएगी।
तब सफेदपोशों के कपड़े
जनता सड़कों पर फाड़ेगी।
तब बलात्कारी नेता को
जनता जूतों से मारेगी।
जब खबरनवीसों की ख़बर
जनता ख़ुद लेगी अच्छे से।
जब भारत फिर से जागेगा
तब सिस्टम थर थर काँपेगा।
जब भारत फिर से जागेगा।
जब भारत फिर से जागेगा।
नमन