Monday 30 May 2022

 "जो समाज गड़े मुर्दे उखाड़ता है उसके पास केवल सड़ांध बचती है" : मैक्सिम गोर्की

हमारे पुरखे कहते आए हैं : "बीती ताहि बिसार दे -आगे की सुधि लेहु"

जो देश या समाज सिर्फ़ अतीत के छिद्रान्वेषण में लग गया हो उनका कोई भविष्य नहीं होता है।
याद रखिए वे कौमें जिनके पास वर्तमान में अपनी सफलता के कोई इस स्मारक नहीं होते वे अपने झूठे अतीत में जीने की कोशिश करते हैं ।
जो लोग वर्तमान में जीते हैं और सुंदर भविष्य के लिए संघर्ष करते हैं उनका ही भविष्य सफल और सुंदर होता है।
हमारे देश के बारे में कहा गया है कि यहाँ का कंकड़ कंकड़ शंकर है। हम किसी भी पुरातन शहर की खुदाई करेंगे तो वहाँ देवताओं की मूर्तियां और बौद्ध स्तूप मिलेंगे। यह हमारा महान अतीत है , इस पर हमें गर्व होना चाहिए। परंतु अगर हम इस अतीत में जाकर जीने की कोशिश करेंगे तो वह हमारी मूर्खता होगी।
किसी ऐतिहासिक धरोहर के आस पास सैकड़ों वर्ष पहले कोई मंदिर या स्तूप रहा होगा तो इसका अर्थ यह नहीं होगा कि हम अब तमाम गिरिजाघरों, मस्जिदों व अन्य पुरानी इमारतों को ध्वस्त कर दें। वे तमाम इमारतें हमारी सांस्कृतिक धरोहर है और बदलते समय की निशानी है। हमें हमारे इतिहास की झलक दिखलाती है।
पिछले कुछ वर्षों से एक विचारधारा के लगातार कुप्रचार ने हमारी प्राथमिकताएं बदल दी है और हम अपने अतीत से संघर्ष कर रहे हैं। इससे हमारी प्रगति बाधित हुई है।

चूँकि किसी औरंगज़ेब ने हिंदुओं पर अत्याचार किए थे इसलिए हम आज तमाम मुसलमानों पर अत्याचार करेंगे यह कहाँ का न्याय है? औरंगजेब कि सेना के सेनापति राजा जय सिंह थे और उसकी सेना में लगभग ५०% राजपूत थे। फिर यह हिन्दू मुसलमान की लड़ाई कहाँ हुई?

बाबर राणा सांगा के निमंत्रण पर इब्राहीम लोधी से लड़ने भारत आया था किसी हिदू राजा से लड़ने नहीं । पानीपत की लड़ाई में महाराणा प्रताप की सेना में १०,००० मुसलमान अकबर की सेना के खिलाफ लड़ रहे थे और महाराणा प्रताप के सेनापति हाकिम खान सूर थे, जब की अकबर की फौज के सेनापति मान सिंह थेयह हिन्दू मुसलमान के बीच की लड़ाई नहीं थी जैसा कि कुछ कुपढ साबित करने की कोशिश कर रहे हैं
भारत की स्वतंत्रता की पहली लड़ाई हमने बहादुरशाह जफ़र के नेतृत्व में लड़ी थी। आज जो लोग हिन्दू बनाम मुस्लिम की राजनीती कर रहे हैं उनके पितामह डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी जिन्ना की बंगाल सरकार में मंत्री थे।

इतिहास से सीख कर पुरानी गलती फिर न दोहराने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए। अगर हम अपने अतीत से लड़ते रहेंगे तो कभी भविष्य के भारत का निर्माण नहीं कर सकेंगे। अतीत की बेड़ियाँ काटकर हमें बाहर आना होगा और भविष्य के अनंत आकाश में उड़ान भरनी होगी।

जो कौम इतिहास में जीती है वह ख़ुद इतिहास बनकर रह जाती है।
नमन

No comments:

Post a Comment