Friday 18 March 2022

हिन्दी भाषी क्षेत्रों के चुनावों में कांग्रेस की लगातार हार के कारण:-

 हिन्दी भाषी क्षेत्रों के चुनावों में कांग्रेस की लगातार हार के कारण:-

* BJP जनमानस के बीच कांग्रेस की छवि एक मुस्लिम समर्थक पार्टी की बनाने में सफल रही है, जिसका सबसे ज़्यादा नुक़सान हिंदी भाषी क्षेत्रों में कांग्रेस को लगातार हो रहा है। जबकि असलियत यही है कि कांग्रेस ने हिन्दू और मुसलमानों में कभी भेद नहीं किया न किसी के साथ कोई पक्षपात नहीं किया है। कांग्रेस अपनी बात जनमानस को समझाने में असफल रही है.
* बाबरी मस्जिद के गिराए जाने के बाद से उत्तर प्रदेश, बिहार , बंगाल, महाराष्ट्र, सहित जिस राज्य में भी कोई दूसरा विकल्प मौजूद है मुसलमान वोटर कांग्रेस को वोट नहीं दे रहा है। मुसलमानों का युवा वर्ग कहता है कि कांग्रेस ने उन्हें 55 सालों में क्या दिया।
कांग्रेस नेता मुस्लिम युवकों को यह समझाने में असफल रहे हैं कि अगर उन्होंने विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय बनाए , इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज खोले तो वे क्या सिर्फ़ हिंदुओं के लिए थे। अगर कांग्रेस ने बांध बनाए, नहरे बनायी, सड़के बनायी, अस्पताल खोले, गाँव गाँव तक बिजली पहुँचाई , तमाम उद्योग लगाए तो क्या यह सब सिर्फ़ हिंदुओं के लिए थे।
* उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पिछले चुनावों में दलित महिलाओं और युवकों ने BJP को राम मंदिर के निर्माण का श्रेय देते हुए वोट दिया है जबकी असलियत यह है कि राम मंदिर के निर्माण में BJP का कोई योगदान नहीं है और यह बात BJP के सुब्रह्मण्यम स्वामी जैसे नेता कहते रहे हैं कि राम मंदिर निर्माण का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह है राजीव गांधी और नरसिंहराव।
आज जिस जमीन पर मंदिर बन रहा है वह 64 एकड ज़मीन कांग्रेस ने राम मंदिर निर्माण के लिए अधिग्रहित की थी।
बड़ी अजीब बात है कि मुसलमान यह मानता है कि बाबरी मस्जिद कांग्रेस के कारण गिरी और बाबरी मस्जिद की जगह राम मंदिर निर्माण की दोषी कांग्रेस है। वही हिंदू मानता है कि कांग्रेस राम मंदिर निर्माण के विरोध में है और हिंदू विरोधी है।

BJP हिंदीभाषी राज्यों के दलितों और पिछड़े वर्ग के नौजवानों को यह समझाने में सफल रही है कि कांग्रेस के सत्ता में आने से हिंदू ख़तरे में आ जाएगा।
* संविधान के अनुच्छेद 370 में 11 वें संशोधन को BJP ने अनुच्छेद 370 की समाप्ति का नाम देकर हिंदीभाषी वोटरों को भरमाया है और कांग्रेस यह संदेश देने में असफल रही है कि इसके पहले कांग्रेस अनुच्छेद 370 में 10 संशोधन कर चुकी थी।BJP ने सिर्फ़ 11वाँ संशोधन किया है।
* उतराखंड और उत्तर प्रदेश में निम्न वर्गों में "नून रोटी खाएंगे -BJP को लाएंगे" जैसे नारे ज़मीन पर लग रहे थे जिनकी वजह से कांग्रेस का विकास , बेरोज़गारी , क़ानून और व्यवस्था, स्वास्थ्य जैसे मुद्दे से पीछे रह गए और कांग्रेस के प्रति लोगों में समर्थन बढ़ने के बावजूद "हिंदू ख़तरे में है" के डर ने निम्न वर्ग को BJP को वोट देने के लिए प्रेरित किया।
UPA-1 और 2 के दौर में डॉ मनमोहन सिंह और उनके सहयोगी लगातार जनता से कटे रहे और BJP की अफ़वाह फैलाने वाली मशीन का जवाब नहीं दे सके।
डॉ मनमोहन सिंह द्वारा नियुक्त CAG, होम सेक्रेटरी, सेना प्रमुख आदि मनमोहन सिंह सरकार के ख़िलाफ़ षड्यंत्र रचते रहे और सरकार को पता तक नहीं चला। सरकार की नाक के नीचे दिल्ली में विवेकानंद फ़ाउंडेशन सरकार की जड़ों में मठ्ठा डाल रहा था और सरकार उससे अनभिज्ञ थी।
जी -23 के जो कांग्रेस नेता आज राहुल गांधी और गांधी परिवार को कांग्रेस की विफलता के लिए दोषी ठहरा रहे हैं वे तब केंद्र में मंत्री थे और सत्ता का सुख भोग रहे थे। इन लोगों ने कांग्रेस की साख बचाने के लिए 2004-2014 तक क्या किया था इसका जवाब उन्हें कांग्रेस कार्यकर्ता को देना होगा।

UPA-1 और 2 के समय कांग्रेस के जो नेता मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडलीय सहयोगी थे उनमे से अधिकाँश जनता से कटे हुए लोग थे जिसका फायदा बीजेपी ने उठाया और कांग्रेस के खिलाफ जबरदस्त अफवाह और झूठ फैलाया

एक और अहम् बात यह है की जी -२३ के नेता और सहयोगी कांग्रेस अध्यक्ष पर समय समय पर बीजेपी द्वारा लगाये गए लांछनो का न तो विरोध किया और न तो कांग्रेस अध्यक्ष के साथ खड़े दिखाई दिए. जाने अनजाने में यह लोग बीजेपी द्वारा कांग्रेस को कमजोर करने के प्लान का हिस्सा बन गए
अगर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से कोई गलतियां हो रही थी तो इन लोगों ने उस समय मंत्रिमंडल की बैठकों में ये प्रश्न क्यों नहीं उपस्थित किए?
नमन

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