Thursday 3 March 2022

जब भारत फिर से जागेगा।

 





चलो अब दर्द को हमदर्द बनाया जाए
ख़्वाब आँखों में जो सजते हैं मिटाया जाए।
दर्द ही साथ निभाएगा उम्र भर मेरा
दर्द को ढूँढ कर गले से लगाया जाए।
किसी से हमने मोहब्बत की बात की है अगर
उनसे विनती है मोहब्बत को भुलाया जाए।
तमाम आँसू ज़माने के मुझको दे मौला
इश्क मैंने किया है मुझको रुलाया जाए।
जिसको जो चाहिए भगवान उसे दे देना
‘नमन’ को ग़म के समंदर में डुबाया जाए।
नमन

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किससे रूठूँ कोई मुझको मनाता ही नहीं
मुझपे हक अपना कोई भी जताता ही नहीं।
मैं नहीं चाहता कि कोई भी मुझको चाहे
मैं जिसका हूँ वो मेरे पास अब आता ही नहीं।
वो सामने है मेरे पर जैसे कभी मिला ही नहीं
ऐसा लगता है उसको अब मुझसे वास्ता ही नहीं।
हमने जब प्यार किया लोगों ने व्यापार किया
दर्द भी अपना मुझको अब सताता ही नहीं।
वर्षों से उसने हमें अपना बना रखा था
हमें लगता है 'नमन' उसको अब भाता ही नहीं।
नमन

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तब भारत फिर से जागेगा ....
जब खून बहेगा सड़कों पर
आवाम सताया जाएगा।
नंगा किसान जब संसद पर
आवाज़ उठाने आएगा।
जब बहू बेटियों के कपड़े
सड़कों पर उतारे जाएंगे।
जब बलात्कारी हत्यारे
संसद में पाए जाएंगे।
रक्षक भक्षक बन जाएगा
और देश बेच कर खाएगा।
जब नौजवान बेकारों को
दौड़ाकर पीटा जाएगा।
जब जुल्मों सितम बढ़ जाएगा
जब झूठ ही सच कहलाएगा।
निर्मम सत्ता के जूतों के तले
मजलूमों को कुचला जाएगा।
तब न्याय की देवी की पट्टी
उन आँखों से हट जाएगी।
अन्यायी न्यायाधीशों को
जनता खुद सबक़ सिखाएगी।
तब केरल से कश्मीर तलक
एक जल-जला आएगा।
संसद की दीवारें काँपेंगीं ,
दिल्ली की किल्ली हिलेगी।
सत्ताधीशों की पगड़ी तब
जूतों पर उछाली जाएगी।
तब भ्रष्ट अफ़सरशाही की
होली जलायी जाएगी।
तब सफेदपोशों के कपड़े
जनता सड़कों पर फाड़ेगी।
तब बलात्कारी नेता को
जनता जूतों से मारेगी।
जब खबरनवीसों की ख़बर
जनता ख़ुद लेगी अच्छे से।
जब भारत फिर से जागेगा
तब सिस्टम थर थर काँपेगा।
जब भारत फिर से जागेगा।
जब भारत फिर से जागेगा।
नमन



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