धर्मान्तरण विरोधी कानून के नाम पर मोदी की राजनीती,
जनता के मूलभूत विषयों से जनता का ध्यान हटाने का उनका प्रयास मात्र है, जबकि इस
सम्बन्ध में क़ानून पहले से मौजूद है...
* IPC Section 295-A और
298 के तहत धर्मान्तरण Cognisable offence
है और गैरकानूनी है| जबरन ऐसा
करवाने वालों को ३ साल के कैद तक की सज़ा और २५००० रु तक का जुर्माना हो सकता है|
** अगर जबरजस्ती, कोई लालच या फ्राड करके किसी SCSC,ST
या नाबालिग व्यक्ति का धर्मान्तरण किया
जाता है तो यह सज़ा ३ साल से जादा भी हो सकती है और जुर्माने की राशी भी अधिक हो
सकती है|
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भारतीय संविधान का Article 25-30 , हर
नागरिक को यह अधिकार देता है की वह बिना किसी दबाव के पूर्ण स्वतंत्रता के साथ अपने
धर्म का पालन कर सके और अपनी धार्मिक मान्यताओं का प्रचार कर सके| परन्तु ....
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किसी भी व्यक्ति या संगठन को यह अधिकार नहीं है की वह जबरन, लालच देकर या धोखे से किसी
व्यक्ति या समूह का धर्मान्तरण करवा सके| सुप्रीम कोर्ट ने सन १९७७ में दिए गए
अपने एक फैसले में उड़ीसा और मध्यप्रदेश सरकारों को सही ठहराते हुए कहा है की क़ानून
धर्म के प्रचार की इजाज़त देता है परन्तु जबरन या लालच और धोखे से किये गए धर्मान्तरण
को नहीं.
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इसके अलावा भारत के आधा दर्ज़न राज्यों ने अपनी अपनी विशिष्ट जरूरतों के हिसाब से धर्मान्तरण
विरोधी क़ानून (Freedom of Religion
Act) बनाये हैं और अन्य राज्य भी इन्हें बनाना
चाहें तो किसी को कोई परेशानी नहीं है| इन ६ राज्यों में से कई राज्य ऐसे हैं जहाँ
की कांग्रेस सरकारों ने ये बिल पास किये हैं...
१-
Odissa Freedom of Religion Act -1967 , passed
by Swatantra Party.
२-
मध्य
प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम- १९६८, लोक सेवक दल की सरकार द्वारा पास|
३-
Arunanchal Pradesh Freedom of Religion Act -1978 , passed
by Cong Party.
४-
छत्तीसगढ़
धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम-२०००, बीजेपी सरकार द्वारा पास
५-
Himanchal Pradesh Freedom of Religion Act -2006 , passed
by Cong Party.
६-
Rajasthan Freedom of Religion Act -2008 , passed
by BJP.
इसके अलावा कुछ और राज्यों के धर्मान्तरण
विरोधी बिल किसी न किसी तांत्रिक कारणों की वजह से अस्तित्व में आने से रुके हुए
हैं.
ऐसे में यह
पूर्णरूप से स्पष्ट होता है धर्मान्तरण के नाम पर की जा रही आरएसएस और बीजेपी की
राजनीती दरअसल जनता के मूलभूत प्रश्नों से उसका ध्यान हटाने के लिए की जा रही
कवायद मात्र है|
अपनी हर नाकामी का
ठीकरा कांग्रेस के नाम पर फोड़ने वाली इस सरकार के पास न तो दूर दृष्टि है न तो कोई
योजना.... जिसका सबसे बड़ा उदाहरण प्लानिंग कमिसन की पर्यायी व्यवस्था हुए बिना ही
उसे उसका काम निलंबित करना और लोकपाल की नियुक्ति पर की जा रही इनकी टालमटोल है.
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