Thursday 19 May 2022

कहानी

मरहूम लोया को
याद करके
घबराहट में
बार बार
आ रहा है पसीना
अदालत की कुर्सी पर बैठे
जज साहब को...
थाने में बैठा दारोग़ा
थर थर कांपता है
मॉब लिंचिंग की डर से
कहीं उसका भी न हो जाए
सुबोध कांत सहाय
बलात्कार की शिकार लड़की
नहीं जाती पुलिस स्टेशन
नहीं लिखाती कोई शिकायत
डरती है कि मार डाला जाएगा
उसके पिता और परिवार को
भेज दिया जाएगा उसे जेल
ब्लैकमेलिंग के आरोप में
डरा सहमा हुआ व्यापारी
मौक़ा पाते ही
भाग जाता है विदेश
डर है उसे
ED द्वारा गिरफ़्तारी का
नहीं चाहता वह जेल जाना
डरा हुआ मुसलमान
बांटता है जुलूस में
पानी , फल और बिस्किट
डरता है जय श्रीराम का
नारा लगाने वाली भीड़ से
आख़िर उसका भी परिवार है
यह कहानी है रामराज्य की
महात्मा गांधी के स्वराज्यकी
पंडित नेहरू के प्रजातंत्र की
डॉ भीमराव अम्बेडकर द्वारा
संकलित संविधान से
चलने वाले देश की
नमन


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देश का दुर्भाग्य है कि
भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध करने वाले
राष्ट्र ध्वज जलाने वाले
राष्ट्र गीत का विरोध करने वाले
दे रहे हैं
मुसलमानो को पाकिस्तानी
सिखों को खालिस्तानी होने का सर्टिफिकेट
कह रहे हैं
आदिवासी नक्सल है
दलित-बैकवर्ड विद्रोही है
बुद्धिजीवी देशद्रोही है
किसान आतंकवादी है
छात्र ग़द्दार है
बेरोज़गार देश विरोधी हैं...

अंग्रेजों का दरबार बजाने वाले
राष्ट्रभक्ति और देशद्रोह का
सर्टिफिकेट बांट रहे हैं....
नमन

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