Thursday 23 December 2021

इश्क का ज़हर

 ग़रीबों को नहीं सताया कर

मत उनका सब्र आज़माया कर।
छाँव में जीने की आदत मत रख‬
‪वक़्त पर धूप से नहाया कर।‬
‪झूठ जो बोलते हैं उन सबको ‬
‪सत्य का आईना दिखाया कर।‬
‪जो आस्तीन में रखते हैं खंजर ‬
‪उनसे तू हाथ मत मिलाया कर।‬
‪मोहब्बत करने वाले बन्दों को‬
‪बेवजह तू नहीं सताया कर।‬
‪राह पर नेकियों की चलता रह‬
‪'नमन' बदी को भूल जाया कर।‬
नमन

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किसी के दिल में रहो उसकी दुआओं में रहो
किसी से प्यार करो उसकी पनाहों में रहो।
किसी का हाथ थाम लो किसी के साथ चलो
किसी के हो जाओ उसकी निगाहों में रहो।
किसी की बंदगी कर लो किसी का ख़्वाब बनो
भले कहीं भी रहो उसकी वफ़ाओं में रहो।
हर किसी को ये मोहब्बत नसीब होती नहीं
किसी की बाहों में रहो किसी की आहों में रहो।
नमन

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इश्क का ज़हर पी कर ज़िंदा हूँ‬
‪कृष्ण के देश का बाशिंदा हूँ।‬
हूँ उसके प्यार के पिंजरे में क़ैद‬
‪वरना उड़ता हुआ परिंदा हूँ।‬
सूर, तुलसी, कबीर का वारिस
अपनी नादानी पर शर्मिंदा हूँ।
जान देता हूँ देश की ख़ातिर‬
‪मुल्क का छोटा सा कारिंदा हूँ।‬
नमन जो भी हैं देश के दुश्मन
उनसे कह दो कि अभी जि़दा हूँ।
‪नमन‬

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उन्हें
फ़र्क नहीं पड़ता
तुम हँसो या रोवो
मरो या जियो
चीखो या चुप रहो
दिखाई पड़ते हो तुम उन्हें
कीड़े मकोड़ों की तरह
उस ऊँचाई से
जहाँ से
देखते हैं वे तुम्हें
सूखे- बाढ
और विपदा में
वे विशेष हैं
और
तुम अवशेष
अर्थहीन
जो कुचला जा सकता है
कभी भी-कहीं भी
किसी भी समय
हमेशा से
फ़र्क रहा है
सत्ता और जनता में
शासक और शोषित में
दमन और दलित में
किसी बाबा साहब
किसी नेहरू का
प्रजातंत्र
या
क़िसी महात्मा का मंत्र
कभी पाट नहीं पाया
इस खाई को
जिसे पाट दिया था
किसी नेपोलियन ने अपने
वीर सैनिकों से...
नमन
May be an image of 1 person and beard

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