Tuesday 21 December 2021

उनका वादा है

 

उन्हें फ़र्क नहीं पड़ता

तुम हँसो या रोवो

मरो या जियो
चीखो या चुप रहो
दिखाई पड़ते हो तुम उन्हें
कीड़े मकोड़ों की तरह
उस ऊँचाई से
जहाँ से
देखते हैं वे तुम्हें
सूखे- बाढ
और विपदा में
वे विशेष हैं
और
तुम अवशेष
अर्थहीन
जो कुचला जा सकता है
कभी भी-कहीं भी
किसी भी समय
हमेशा से
फ़र्क रहा है
सत्ता और जनता में
शासक और शोषित में
दमन और दलित में
किसी बाबा साहब
किसी नेहरू का
प्रजातंत्र
या
क़िसी महात्मा का मंत्र
कभी पाट नहीं पाया
इस खाई को
जिसे पाट दिया था
किसी नेपोलियन ने अपने
वीर सैनिकों से...
नमन

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उनका वादा है
बबूल के पेड़ पर
आम के फल आएँगे
नफरत के पेड़ पर
मोहब्बत के फूल लहलहाएंगे
अब वह दिन दूर नहीं
जब झूठ को सच मान लिया जाएगा
नये क़ानूनों से
किसान कुबेर बन जाएगा
वे रेल बेचकर
रेल का विकास करेंगे
हवाई अड्डे बेच कर
हवाई अड्डा बनाएंगे
सरकारी स्कूलों में ताला लगाकर
गरीबों दलितों शोषितों को
शिक्षित करेंगे
नौजवान पकौड़े बेचेंगे
और अच्छे दिन आएँगे
ट्रेन में भीख माँगने को
रोज़गार घोषित कर दिया जाएगा
बलात्कार पर सत्ता पक्ष का
एकाधिकार होगा
आख़िर बलात्कारी ही तो
सरकार होगा...
नमन

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