Thursday 26 August 2021

धर्म और राजनीति


ईसा मसीह को सूली पर उन्हीं लोगों ने चढाया था जो आज ईसाइयत के नाम को दूसरों की हत्या करने को तैयार है।
पैगंबर मुहम्मद साहब को मारने का प्रयास करने वाले और कर्बला में हुसैन को शहादत देने वाले वही लोग हैं जो आज इस्लाम के नाम पर दूसरों का कत्ल करने पर आमादा है।
प्रार्थना के लिए जाते हुए "रघुपति राघव राजा राम -पतित पावन सीता राम" भजने वाले रहा हम राज्य के प्रणेता महात्मा गांधी को उन्ही लोगों ने मारा जो आज रामराज्य के नाम पर दूसरों की हत्या कर रहे हैं।
दुनिया के किसी भी धर्म मैं नफ़रत के लिए कोई स्थान नहीं है। नफ़रत करना सियासत वालों का काम है। ईश्वर और अल्लाह के नाम पर दूसरों की हत्या करने और करवाने वाले सियासतदाँ इंसान नहीं राक्षस हैं।
चाहे जहाँ श्रीराम का नारा देकर मॉब लिंचिंग करने वाले हों या अल्ला हो अक़बर का नारा देने वाले तालिबान और अन्य इस्लामी संगठन हों ये सबके सब ईश्वर और अल्लाह के नुमाइंदे नहीं है बल्कि शैतानी ताक़तों के नुमाइंदे हैं।
इन राक्षसी वृत्तियों से संघर्ष ज़रूरी है। "वसुधैव कुटुंबकम्" की अवधारणा में विश्वास करने वाला सनातन धर्म सह अस्तित्व की बात करता है।
भारतीय मुसलमान तालिबान का समर्थन नहीं करता। भारतीय मुसलमानों का ग़ुस्सा अमेरिका के ख़िलाफ़ है जो पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया, इराक़ आदि के आतंकवादियों को हथियार और गोला बारूद देकर इन देशों को बर्बाद कर रहा है।
इस आतंकवाद में पिछले 40 वर्षों में करोड़ों मुसलमान मारे गए हैं और आधा दर्जन से अधिक देश बर्बाद हो गए हैं।
कश्मीर और भारत के उत्तर पूर्व में जो हथियार और गोला बारूद आतंकवादियों को मिल रहा है वह अमेरिका और चीन की देन है। अगर अमेरिका और चीन आतंकवादी संगठनों को हथियार बेचना बंद कर दें तो पूरी दुनियाँ का आतंकवाद ख़त्म हो जाएगा।
भटके हुए मुस्लिम नौजवानों को हथियार और गोला बारूद देकर अमेरिका एशिया में आतंकवादी पैदा कर रहा है और इस काम के लिए पाकिस्तान जैसे देशों की सहायता ले रहा है।
भारत महात्मा गांधी का देश है। भारतीय मुसलमान महात्मा गांधी, सीमांत गांधी और अबुल कलाम आज़ाद की विचारधारा में विश्वास करता है। अगर कुछ भटके हुए मुसलमानों को छोड़ दें तो भारत का 99% मुसलमान आतंकवाद के खिलाफ़ है।
कोई समझदार भारतीय मुसलमान यह नहीं चाहेगा कि आतंकवाद की परछाई भी भारत पर पड़े और भारतीय मुसलमानों को वह सब झेलना पड़े जो पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया, ईराक आदि के मुसलमानों को पिछले 40 वर्षों में झेलना पड़ा है।
भारतीय मीडिया कुछ अपवादों, कुछ भटके हुए व्यक्तियों के राजनीति से प्रेरित कारनामों को बढ़ा चढ़ाकर दिखाकर भारतीय जनमानस में नफ़रत पैदा करने की कोशिश कर रहा है। भारतीय मीडिया को आत्मचिंतन और आत्मनिरीक्षण की ज़रूरत है।
TV स्टूडियो में हैं जो नाग फुफकार कर ज़हर उगल रहे हैं उन्हें रोकना सरकार का भी काम है। अगर राजनैतिक दल अपने क्षुद्र स्वार्थ के लिए उन्हें बढ़ावा देंगे तो यह देश के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
कमज़ोर शासक सदियों से सत्ता पाने के लिए और सत्ता पर क़ाबिज़ रहने के लिए धर्म का सहारा लेते रहे हैं। धर्म नितांत व्यक्तिगत बात है। संगठित धर्म विनाश का कारण बनता है।
सरकार को चाहिए कि धर्म को अलग रखकर देश निर्माण पर अपना ध्यान केंद्रित करे। देश की बाहरी और अंतर्गत सुरक्षा के लिए तमाम आवश्यक तैयारियां की जानी चाहिए। सारे आवश्यक क़दम उठाए जाने चाहिए। सरकार का यह भी कर्तव्य है हूँ कि वह देश के तमाम नागरिकों में सौमनस्य और सद्भाव पैदा करे।
अगर देश में एकता है तो दुनिया की कोई भी ताक़त हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती। याद रखिए;
"धर्म, मज़हब, जातियाँ सब नाम हैं शैतान के
आँख के आँसू मोहब्बत काम हैं इंसान के।
चाहे माथे पर तिलक हो या निशान नमाज़ के
सब मुहाफिज हैं हमारे अपने हिन्दुस्तान के।
नमन
जयहिंद!

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