Wednesday 21 July 2021

 -इश्क का शोध पत्र-

मेरी कविता
दर्द का
वह बहीखाता है
जो सिर्फ़ इश्क पर
शोध करने वालों को
समझ में आता है।
नमन

--------

आँधियों में जो चिराग जलते हैं‬
‪वही तूफ़ानों से लड़ा करते हैं।‬
‪जंगजू हैं हम नहीं हारे कभी‬
‪या तो जीतेंगे, या तो मरते हैं।‬
‪क्या बिगाड़ेगी हमारा दुनिया‬
‪मौत से दो दो हाथ करते हैं।‬
‪हम कायर नहीं कि पीठ दिखलाएँ
‪अपने सीने पर वार सहते हैं।‬
‪नेकी और बदी की जंग में हम
नेकी पर जाँनिसार करते हैं।‬
‪नमन

------

उसकी आँखों में जब से देखा है
कहाँ कुछ और तब से देखा है ।
उसकी ज़ुल्फ़ें भले सफ़ेद हुई
इश्क का रंग अब भी चोखा है।
मेरा क़ातिल ही है हबीब मेरा
वो शख़्स दुनिया में अनोखा है।
दुश्मनों की करूँ शिकायत क्यों
हमें अपनों ने दिया धोखा है।
यह ग़ज़ल ग़ज़ल नहीं है मेरी
इश्क का मेरे लेखा जोखा है।
नमन

No comments:

Post a Comment