Wednesday, 21 July 2021

 ख़ुदकुशी

खुदकुशी करने का इरादा है
दिल मेरा इश्क पर आमादा है।
तमाम तीर उसकी नज़रों के
दिल पर झेलूँगा उससे वादा है।
सभी से मुस्करा के मिलता है
मेरा महबूब सीधा सादा है।
वैसे इस शहर में सभी हैं हसीन
यार मेरा थोड़ा ज़्यादा है।
नमन

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ज़ुबान पर राम नाम आस्तीन में खंजर है
मुल्क में आजकल हर तरफ यही मंजर है।
सभी ने देखा था उसको कत्ल करते हुए
काजी कहता है वो क़ातिल नहीं कलंदर है।
वो कण-कण में बसा है जहान का मालिक है
भक्त कहते हैं कि भगवान घर से बेघर है।
अब चौकीदार महलों में उड़ा रहे दावत
देश का राजा है जो आजकल सड़क पर है।
अब सच की सियासत नहीं करता कोई
यहाँ सच बोलने वाला हाशिए पर है।
नमन

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मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर सब प्यार सिखाते हैं
आग नफ़रत की लगाती है सियासत यारों।
आज मस्जिद की सीढ़ियों पर पूजा की मैंने
कल उन्हे लाएगी मंदिर में मोहब्बत यारों।
नमन

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