ख्वाब
आशियाँ एक मोहब्बत का बनाया जाए
इश्क वालों को लाके उसमें बसाया जाए।
जो पूजा करते हैं महबूब की अपने उनको
दिल की गलियों में बेख़ौफ़ घुमाया जाए।
जिन आँखों में गम है, दर्द और आँसू हैं
उन निगाहों में नया ख्वाब सजाया जाए।
वे दिल जिनमें जलते हैं मोहब्बत के चिराग़
तमाम उम्र उनका साथ निभाया जाए।
जो पागल हैं किसी के प्यार में आत्माएँ 'नमन'
ढूंढ कर उनको आपस में मिलाया जाए।
नमन
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विषैली नागिने फुफकारती हैं टीवी पर
और अखबारों में विषधर तमाम बैठे हैं।
दूर ही रहना इन देश के गद्दारों से
ये मेरे देश को करने गुलाम बैठे हैं।
हवा में फ़ैल चुका है नफरत का ज़हर
मंदिर लूटने देश के हुक्काम बैठे हैं।
ये न हिन्दू हैं, न मुस्लिम हैं, न ईसाई हैं
ये लेने तुमसे अपना इंतकाम बैठे हैं।
राजधानी में कोठियां नहीं हैं कोठे हैं
देश को बेचने नेता तमाम बैठे हैं।
नमन
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जब हुई दर्द की बरसात
तो तुम याद आए
दिल में जब भी उठे जजबात
तो तुम याद आए।
तेरी चाहत में दिन और रात
रहा डूबा मैं
जब आई पूर्णिमा की रात
तो तुम याद आए।
अब दिल में तेरे सिवा कोई
आरज़ू न रही
जब हुई मोहब्बत की बात
तो तुम याद आए।
अब बहारों में भी हमको
सुकून मिलता नहीं
जब हुई ख़िज़ाँ की शुरुआत
तो तुम याद आए।
नमन
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