Monday, 22 February 2021

देश नहीं बिकने दूँगा

 

मैंने
बंद कर दिए हैं
सारे दरवाज़े
सारी खिड़कियाँ
सारे झरोखे
मैंने
बंद कर दिया है
ह्वाट्स ऐप , एस एम एस
और इंस्टाग्राम
पर रोक नहीं पाया
उसकी यादों को
जो
बार-बार आ जाती हैं
मुझे सताने।
नमन

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देश नहीं बिकने दूँगा जो कहता था ललकार कर
आज देश नीलाम कर रहा डंके की टंकार पर।
बेची रेल हमारी उसने एयरपोर्ट नीलाम किया
सरकारी उद्यम सब बेचे कपूत वाला काम किया।
गिद्ध दृष्टि वह डाल रहा अब खेत और खलिहानों पर
भिखारी अब जुल्म ढा रहा मज़दूर और किसानों पर।
पुरखों ने 70 सालों में भारत का निर्माण किया
चाय वाले ने छ: सालों में देश मेरा नीलाम किया।
बहुत हुआ अब खेल अडानी-अंबानी का बंद करो
काले अंग्रेजों की लूट पर अब प्रतिबंध करो।
नमन

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