मेरी बरबादी पर इतना भी सियासत न करो
मौत दे दो हमें पर हमसे यूं नफ़रत न करो।
हमने पाला है तुम्हें अपने खून पसीने से
ऐ दिल्ली वालों हमसे इतनी शिकायत न करो।
हम ही मज़दूर, किसान और जवान हैं यारों
हमको ग़द्दार समझने की हिमाक़त न करो।
हमारी मौत पर आँसू न बहाओ लेकिन
तुम किसानों को बहकाने की हरकत न करो।
हम ही भारत हैं और हम ही हैं भारत वाले
हमसे यूँ बेवजह टकराने की जुर्रत न करो। नमन
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एक चेहरा झूठ बोलता है
दूसरा चेहरा नफ़रत फैलाता है
तीसरा चेहरा अफ़वाह फैलाता है
चौथा चेहरा देश बेचने में सरकार की मदद करता है
देश से ग़द्दारी करता है
इनके पीछे एक और चेहरा है
वह इन चेहरों को संचालित करता है
वह व्यापार करता है।
नमन
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जो
उनसे असहमत है
वह देशद्रोही है
और
जो उनसे सहमत है
वह हत्यारा...
नमन
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सुनो -सुनो-सुनो
महात्मा गांधी
अपनी शहादत के 72 वर्ष बाद भी
सिंधु बॉर्डर पर
किसानों के साथ खड़ा है
ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर
टिकैत के साथ टिका है
तीन गोलियों से छलनी
अपना सीना ताने
तानाशाहों के सामने खड़ा है
अहिंसक है
परंतु क्या ख़ूब लड़ा है
चम्पारण में भी
वह किसानों के साथ था
दिल्ली बॉर्डर पर भी
वह किसानों के साथ है
कितनी बार मारोगे तुम उसे...
जब जब तुम करोगे
उसके पुत्रों के साथ अन्याय
राष्ट्रपिता अपनी अहिंसक लाठी लेकर
सामने खड़ा मिलेगा..
नमन
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