Thursday, 8 October 2020

प्रश्न?

 

मेरा प्रश्न है आपसे

मैं उसकी पूजा करूँ 

या उसे प्यार?

मैं उसकी पूजा करूँ 

जैसे की जाती है पूजा

सुंदर गढ़ी गई 

पत्थर की मूर्तियों की

या 

उससे प्यार करूं 

जैसे मैं प्यार करता हूँ 

कल कल बहती नदी से

पहाड़ों से गिर रहे झरनों से

ठंडी उन्मुक्त हवाओं से

चहचहाते पक्षियों से

ख़ूबसूरत तितलियों से 

खिले हुए फूलों से 

अधखिली कलियों से...


जैसे मैं प्यार करता हूँ 

नीले आसमान से

भटकते बादलों से

टिमटिमाते तारों से 

और हाँ 

मुस्कराते चाँद से

अपनी किताबों से....


जैसे मैं प्यार करता हूँ 

अपने बग़ीचे के पेड़ों से 

खेत की फसलों से 

धान की बालियों से 

सरसों के फूलों से

खेतों में खड़े गन्ने से

मटर लता से...


मैं चाहता हूँ 

कि मैं प्यार करूँ

उसके मुस्कराते होठों से

उसकी चंचल आँखों से

उसकी थिरकते पाँव से

उसकी लचकती कमर से

उसके लहराते बालों से

उसकी पायल बिछुआ कंगना से

उसकी कान की बाली 

और गालों की लाली से...


क्या आप इजाज़त देंगे मुझे 

उससे प्यार करने की

जैसे मेरे प्यार कर सकता हूँ 

दुनिया की तमाम मूर्तियों से

वैसे ही 

क्यों नहीं मैं प्यार कर सकता

तमाम सुंदर स्त्रियों से????

नमन

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