यादें
गोजई की रोटी- अरहर की दाल
उसमें खटाई करे कमाल।
आम का सिरका-बथुआ का साग
हथपोईया का नहीं जवाब।
बनके रह गया है अब ख़्वाब
सत्तू और चटनी का स्वाद।
मकई की रोटी और लगदावा
आम का मुरब्बा चाट के खावा।
हरा नीमोना मक्के का भात
दाल पूरी और नेनुआँ का साग।
चूनी की रोटी कटहल का रसेदार
बेढनी के साथ अमचूर और अचार।
बेर्रा, बजरी, बजरा की रोटी
उड़दी की दाल या माठा में घोंटी।
मकई की ठोर्री- चना की दाल
माठा-सिखरन करें धमाल।
भूंजी आलू चाक का गुड़
कराहा का चिनगा कुरुर-कुरुर।
चना का होरहा- चना का साग
आम की कोईली तोडि के ख़ाब।
कैसे भूलेंगे वह राज
पूरे गाँव पर था साम्राज्य।
नमन
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