मज़हब सिखा रहा है नफ़रत की हमें बातें
हम प्यार करने वाले जाएँ तो कहाँ जाएँ।
होठों पर इबादत है आँखों में मोहब्बत है
हम छोड़कर घर अपना जाएँ तो कहाँ जाएँ ।
---------
मोहब्बत तेरा शाहकार हूँ मैं
भूल मत प्यार सिर्फ़ प्यार हूँ मैं।
भूल मत प्यार सिर्फ़ प्यार हूँ मैं।
तू भले करे कितनी भी नफरत
तेरी चाहत का तलबगार हूँ मैं।
तेरी चाहत का तलबगार हूँ मैं।
तूने जो दर्द दिया है मुझको
हाँ उसी दर्द का हक़दार हूँ मैं।
हाँ उसी दर्द का हक़दार हूँ मैं।
नहीं शिकवा तेरी जफ़ाओं का
आज भी तेरा वफ़ादार हूँ मैं।
आज भी तेरा वफ़ादार हूँ मैं।
यदि मोहब्बत गुनाह है यारों
मानता हूँ कि गुनहगार हूँ मैं।
मानता हूँ कि गुनहगार हूँ मैं।
तेरी बेरहम नज़रों की क़सम
तेरी ज़ुल्फ़ों में गिरफ्तार हूँ मैं।
तेरी ज़ुल्फ़ों में गिरफ्तार हूँ मैं।
---------------
भूख, ज़िल्लत और तोहमत सब उसके साथ है
देश का मज़दूर है वो उसकी यह औकात है।
देश का मज़दूर है वो उसकी यह औकात है।
कह दिया सरकार ने सब बंद तो सब बंद है
भूख से वह मर रहा है बात यह अज्ञात है।
भूख से वह मर रहा है बात यह अज्ञात है।
छत नहीं, छप्पर नहीं, दाना नहीं पानी नहीं
पेट में है आग और पीछे पुलिस की लात है।
पेट में है आग और पीछे पुलिस की लात है।
आँख में सपने लिए वह शहर आया था कभी
आँख में आँसू लिए अब लौटने की बात है।
आँख में आँसू लिए अब लौटने की बात है।
किससे पूछे,क्या करे, कैसे जिए मज़दूर यह
सड़क पर जीता था अब मरने की शुरुआत है।
नमन
सड़क पर जीता था अब मरने की शुरुआत है।
नमन
No comments:
Post a Comment