Monday, 30 March 2020

आपदायें



आपदायें
न तो थाली और
घंटा बजाने से भागती हैं
न वे भागती हैं
घर में बैठकर अंताक्षरी खेलने

TV देखने /लूडो खेलने
मटर छीलने और मक्खी मारने से
जूझना पड़ता है उनसे
करना पड़ता संघर्ष
दिन-रात पूरी ताक़त से
बनाए रखना पड़ता है
आत्मविश्वास पूरे देश का
महान राष्ट्र
महान कार्यों से बनते हैं
खोखले वचनों से नहीं।


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वक़्त के साथ बदल जाती है सारी दुनियाँ
जो तेरे पास है तू उसका तिरस्कार न कर।
हो बुरा वक़्त तो अपने भी दगा देते हैं
तू समझदार है तू अपनों से तकरार न कर।

आज बुरा है तो कल अच्छा भी वक़्त आएगा
तू मुस्कुरा के जी आँसू तेरे बेकार न कर।
हमने देखी है मुसीबत कई इसके पहले
मुसीबत में किसी से गैर सा व्यवहार न कर।
अँधेरी रात है तो सूरज को निकालना ही है
रात के डर से उजालों का बहिष्कार न कर।
जो अपने हैं तू उनसे टूटकर मोहब्बत कर
इश्क करने के लिए कल का इंतज़ार न कर।
नमन

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