Monday, 30 March 2020

दलाल


मुझे तुम नज़र से गिरा तो न दोगे
हँसाकर हमें फिर रुला तो न दोगे।
नज़र तुझसे मिलना महज़ हादसा है
हमें हादसे की सजा तो न दोगे।


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मुश्किलों को हराते चलो
प्रेम के गीत गाते चलो।


गैर भी यदि मिलें राह में
गले उनको लगाते चलो।


दर्द जितना ज़्यादा बढ़े
उतना तुम मुस्कराते चलो।


बेवफ़ा दोस्तों से भी तुम
वफ़ादारी निभाते चलो।


दिल धड़कने लगे प्यार में
ऐसी महफ़िल सजाते चलो।


राह में है अंधेरा घना
चंद दीपक जलाते चलो।


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यह दिल्ली है
निठल्ली है
दल्ली है
यहाँ दलाल हैं
अडानी के-अम्बानी के
अमरीका के -ब्रिटेन के
चीन के - फ़्रांस के
जिन्ना और नवाज़ शरीफ़ के
न्यायपालिका और कार्यपालिका के
सत्ता के-विपक्ष के
सत्ता की मलाई खाकर
उनके चेहरे
और सत्ता के मद में
उनकी आंखें लाल हैं
वे देश के लाल नहीं
दलाल हैं
दलाल हैं।
नमन

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