Sunday, 19 January 2020

ऐ मेरे देश की बेटी तेरे साहस को नमन।


जेएनयू , जामिया, बीएचयू, इलाहाबाद विश्वविद्यालय की बेटियों और शाहीन बाग़ की बहन- बेटियों के नाम::::

अपने आँचल को बना लेती हैं अपना परचम
ऐ मेरे देश की बेटी तेरे साहस को नमन।


जब ज़रूरत पड़ी आवाज़ लगायी तूने
वक़्त पर हाथ में तलवार उठायी तूने।
काँप उठा तेरी ललकार से ये धरती गगन
ऐ मेरे देश की बेटी तेरे साहस को नमन।
अपने आँचल को बना लेती हैं अपना परचम
ऐ मेरे देश की बेटी तेरे साहस को नमन।

जब भी जुल्मों सितम बढ़ा है हुक्मरानों का
खून जब-जब उबल उठा है नौजवानों का।
बेटियां तब-तब घर से निकली तोड़कर बंधन
ऐ मेरे देश की बेटी तेरे साहस को नमन।
अपने आँचल को बना लेती हैं अपना परचम
ऐ मेरे देश की बेटी तेरे साहस को नमन।

तू ही रज़िया है और बेग़म हज़रत महल तू ही
तू ही पद्मावती है और है लक्ष्मीबाई तू ही।
मुल्क की ख़ातिर लुटाया है तूने जान और तन
ऐ मेरे देश की बेटी तेरे साहस को नमन।
अपने आँचल को बना लेती हैं अपना परचम
ऐ मेरे देश की बेटी तेरे साहस को नमन।

तू अबला नहीं तुझमें है बला की ताक़त
तेरी हुंकार से हिल जाता है दिल्ली का तख्त।
उनसे कह दो कि ये माटी है तेरा घर आँगन
ऐ मेरे देश की बेटी तेरे साहस को नमन।
अपने आँचल को बना लेती हैं अपना परचम
ऐ मेरे देश की बेटी तेरे साहस को नमन।

अपने हक़ के लिए लड़ने का है माद्दा तुझमे
देश के लिए मर मिटने का है गुर्दा तुझमे ।
तेरे बलिदान के आगे है सर झुकाता वतन
ऐ मेरे देश की बेटी तेरे साहस को नमन।
अपने आँचल को बना लेती है अपना परचम
ऐ मेरे देश की बेटी तेरे साहस को नमन।
नमन

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