Wednesday, 25 December 2019

झूठ पुराण

झूठ पुराण

भारतीय संविधान की अलिखित-असंकलित
अस्पष्ट धारा में
सभी जन-प्रतिनिधियों को
झूठ बोलने का महान अधिकार दिया गया है
नेताओं को
संसद से लेकर सडक तक
झूठ ही झूठ बोलने की
परम छूट है.
झूठ के इसी
उर्जा स्रोत पर चढ़ कर
झूठ का मनन और
विष का वमन करते हुए
नेतागण
सत्ता सुंदरी का वरण करते हैं
सत्य शर्मिंदा है
और छिप कर
तैयारी कर रहा है
आत्महत्या की
आत्महत्या कर रहे हैं
कितने ही सच
प्रति दिन
सीमा पर शहीद हो रहे
जवानों का सच..
आत्म हत्या कर रहे
किसानो का सच..
भूखे मजदूरों का सच..
बेरोजगार नौजवानों का सच..
बलात्कार पीड़ित
महिलाओं का सच ..
घर में सताई और जलाई जा रही
बहुओं का सच ..
अपने ही वरिष्ठो द्वारा
सताए जा रहे सिपाही का सच ..
जो नहीं मरना चाहता
ऐसे सच का गला
व्यवस्था घोंट देती है
झूठ
संविधान द्वारा आरक्षित
सुरक्षित और संरक्षित है
झूठ और अफवाहों पर ही
टिका हुआ है
आधुनिक भारत का अस्तित्व
वरना अधिकांश नेता
जो आज अभूतपूर्व कहे जाते हैं
कब के भूतपूर्व हो गए होते
जो जितना सफाई से
जितना जादा झूठ बोले
तय है
उसका उतना विकसित होना
हम सबको
झूठ सुनने की
सहने की
और मानने की
आदत पड़ गई है
सच बोले तो लात मिलेगी
झूठे को सौगात मिलेगी
चर्चा अगर सत्य की की तो
गोली और हवालात मिलेगी
सत्य लोगों के कान में
गर्म शीशे की तरह उतरता है
लोग
सहन नहीं कर पाते सत्य
और विक्षिप्त हो जाते हैं
झूठ मधुर है-मनोरम है
तुम्हारा है-मेरा है
घरवालों का है
रिश्तेदारों का है
मित्रो का है
सहयोगियों का है
सर्वत्र व्याप्त है
सर्व प्रिय है
बोलिये
झूठ की जय हो !
सत्य का नाश हो !
प्राणियों में झूठ की भावना हो!
झूठ का विकास हो !
विश्व में सर्वत्र झूठ व्याप्त हो !

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तुम मुझे वोट दो
मैं तुम्हें झूठ दूँगा
जुमला दूँगा
भूख दूँगा
बेरोज़गारी दूँगा
तुम मुझे वोट दो
मैं तुम्हें अघोषित
आपातकाल दूँगा
बलात्कारी सांसद
और विधायक दूँगा
सैनिकों की शहादत दूँगा
किसानों की आत्महत्या दूँगा
उद्योग/व्यापार बंदी दूँगा
बाज़ारों में आयी मंदी दूँगा
दूँगा वह सब कुछ
जो तुमने नहीं माँगा है
नहीं दूँगा वह सब
जिसका मैंने वचन दिया है।

नमन

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