किसी के आसरे जीने से तो बेहतर है मर जाएँ
बात जब मुल्क की आए तो शोलों से गुज़र जाएँ।
बात जब मुल्क की आए तो शोलों से गुज़र जाएँ।
अगर हम जाग उठे तो तुम सुन लो ऐ दिल्लीवालों
जगह न पाओगे की भागकर कैसे - किधर जाएँ।
जगह न पाओगे की भागकर कैसे - किधर जाएँ।
हमें मत छेड़िए साहब हमें ललकारिए भी मत
कहीं ऐसा न हो कि आप तिनकों सा बिखर जाएँ।
कहीं ऐसा न हो कि आप तिनकों सा बिखर जाएँ।
यह जो कुर्सी पर बैठे हो हमारी मेहरबानी है
अगर हम सोच भी लें तो ये कपडे तक उतर जाएँ।
नमन
अगर हम सोच भी लें तो ये कपडे तक उतर जाएँ।
नमन
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सुकून मुझको मिला उसकी बेवफ़ाई से
इश्क़ होने लगा है अपनी ही तन्हाई से।
इश्क़ होने लगा है अपनी ही तन्हाई से।
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जल रही धूप में एक शजर चाहिए
ग़म की राहों में चाहत का घर चाहिए
ग़म की राहों में चाहत का घर चाहिए
लू यहाँ चल रही नफरतों की ‘नमन’
इश्क़ में डूबा हम को शहर चाहिए।
इश्क़ में डूबा हम को शहर चाहिए।
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