Wednesday, 25 December 2019

तानाशाह















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वे ढहा देते हैं
विश्वविद्यालयों को
जला देते हैं
लाइब्रेरियों को
बुझा देते हैं
ज्ञान के हर दीप को
कत्ल कर देते हैं
छात्रों और प्राध्यापकों को
इंसानियत के पहरेदारों को
इन खंडहरों पर बनाए जाते हैं
मंदिर-मस्जिद और गिरिजाघर
अंध भक्तों के सिए
अक्ल के अंधों के लिए

ज्ञान आड़े आता है
उनके अमानवीय मंसूबों के
केवल अज्ञान के अंधेरे में ही
स्थापित किए जा सकते हैं
राक्षसों के साम्राज्य
अहंकार को पोषित करती
सोने की लंकाएँ
इसीलिए वे ख़िलाफ़ हैं
ज्ञान, विवेक, विज्ञान और विद्वता के
अन्याय के प्रतिष्ठित सूर्य
धर्म का मुखौटा लगाये
छलते हैं जनता को
छलते हैं संसार को
हमें तन कर खड़ा होना होगा
उनके ख़िलाफ़
जो छात्रों के ख़िलाफ़ हैं
युवकों के ख़िलाफ़ हैं
किसानों के ख़िलाफ़ हैं
जवानों के खिलाफ हैं
मज़दूरों के ख़िलाफ़ हैं
इंसानियत के ख़िलाफ़ हैं
संविधान के खिलाफ़ हैं
देश के खिलाफ़ हैं ।
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खो रहा है देश का चैन और अमन
कातिलों के हाथ में अब है वतन।
नाम लेकर राम और रहमान का
भीड़ हत्या कर रही है आदतन।
आज संसद मौन है हर प्रश्न पर
और जनता सड़क पर है मजबूरन।
बे-रहम पुलिस की लाठियां
छात्रों पर चल रही है दनादन।
झूठ -जुमले और नफरत हर तरफ
देश में उनका हुआ है आगमन।

सिंक रही हैं राजनैतिक रोटियां
देश को अब है जलाने का चलन। 

देश की ख़ातिर जियें इसी पर मरें
कर रहा है आग्रह सबसे ‘नमन’।

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हिन्दू हूँ, बरहमन हूँ , काशी पे नाज़ मुझको
हूँ राम का पुजारी , काबा से प्यार मुझको।
नफ़रत नहीं सिखाया हमें राम या किशन ने
हैं एक ईश्वर अल्लाह गाँधी बताये मुझको।
कबिरा कि नगरी काशी के पास का मैं वासी
तुलसी के राम मेरे , मीरा के श्याम मेरे।
तू प्यार कर सभी से कान्हा मुझे सिखाये
सत्य ही ईश्वर है कह गए राम मेरे।
नमन 

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