Tuesday, 10 September 2019



उससे नज़रें मिली और कुछ यूँ हुआ
मैं उन्हें ताकता - ताकता रह गया।
ख्वाब में और हक़ीक़त में है फ़र्क़ क्या
उनकी आँखों में मैं खोजता रह गया।
मेरी दुश्मन है वो और उसकी नज़र
उसका हर वार मैं झेलता रह गया।
उसकी आँखों में है मोहब्बत का ज़हर
उस जहर का कहर सालता रह गया।
उन निगाहों ने ढाया है दिल पर सितम
और बेबस सा मैं देखता रह गया।

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ए मौत के फ़रिश्ते
कहाँ हो तुम
आओ
पर आना दबे पाँव
धीरे से

डराना मत मुझे
आना इस तरह
की मुझे पता तक न चले
चुरा लेना मेरी रूह
ले जाना उसे
नरक या स्वर्ग में
या कहीं और
जहाँ तुम्हारा मन करे
छोड़ देना मेरा शरीर
मेरे परिजनों के लिए
क्योंकि
उन्हें इसीसे प्यार है

पर एक विनती है
मेरे प्यारे
मौत के फरिश्ते
चाहे जहाँ भी रखना
तुम मुझे
स्वर्ग में, नर्क में
या कहीं और
रखना प्रेम -प्यार
इश्क और मोहब्बत से
बहुत दूर
क्योंकि पूरी ज़िंदगी
इसीने रुलाया है मुझे।

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कमबख़्त दिल ने कहीं का रखा नहीं हमें
ए टूट कर बिखर जाता तो अच्छा होता।
इससे मजबूर हमने कई दिल दुखाए है
इसे उसकी सजा मिलती तो अच्छा होता।


----------- उसने किताबें पढ़ कर सीखे थे जो सबक
वो हमने सारे यार की आँखों मे पढ़ लिए। 

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मैं सोचता था दोस्ती के हूँ तेरे काबिल
अब जानता हूँ क्या हूँ तुम्हारी नज़र मे मैं । 

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आईना मुझे दिखाने का शुक्रिया ऐ दोस्त
तूने धीरे से मेरी औकात बता दी मुझको। 


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ये ज़िंदगी का फलसफा कितना अजीब है
उसको न जान पाया जिसे जानता हूँ मैं। 

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वफादार यहाँ कोई अगर है तो मौत है
यह जिसका दामन थाम ले तो छोड़ती नहीं। 

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मेरी आँखों मे पढ़ सको तो पढ़ लो इसको 
ए मोहब्बत है जुबां पर नहीं लायी जाती। 

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क़ातिल मेरा हसीन भी है और ज़हीन भी
मेरा बार बार उसपे ही मरने को जी करे। 

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तुम मुझसे इश्क़ का इज़हार न कर
हो सके तो तू मुझसे प्यार न कर।
मैं अगर मरता हूँ मर जाने दे
तू मुझसे मोहब्बत का इकरार न कर।



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तेरे आने की कुछ उम्मीद नहीं
पर तेरा इंतज़ार करता हूँ।
तू मेरे दिल मेरी साँसों मे है

मैं तुझे बहुत प्यार करता हूँ।रे आने की कुछ उम्मीद नही

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कुछ लोग साथ -साथ हैं पर हमसफ़र नहीं
कुछ लोग बेहद् पास हैं पर हमें ख़बर नहीं ।
ए ज़िंदगी के रास्ते कितने अजीब हैं
हम उनके सामने हैं पर उन्हें आते नज़र नहीं।


'नमन'

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