Wednesday 7 August 2019

जम्मू कश्मीर और बीजेपी


5 और 6 अगस्त 2019 का दिन स्वतंत्र भारत के इतिहास मे मोदी सरकार द्वारा देश की जनता को एक और झुनझुना पकड़ाने के लिए याद किया जायेगा।  सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370  के मुख्य खंड (प्रथम खंड) को नहीं हटाया परन्तु देश की जनता को यह आभास कराया  की अनुच्छेद 370 को पूर्णरूपेण हटा दिया गया है।  जब की अनुच्छेद 370 का प्रथम खंड आज भी अस्तित्व में है।

सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के द्वितीय और तृतीय खंड को राष्ट्रपति के अध्यादेश द्वारा निरस्त करके मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 मे एक और संशोधन कर दिया है, अनुच्छेद 370 को पूर्णरूपेण हटाया नहीं है । 

असलियत यह है की 1954 से आज तक केंद्र की विभिन्न सरकारों ने जम्मू और कश्मीर की स्वायत्तता को धीरे- धीरे ख़त्म करने का प्रयास किया था।  जब भी जम्मू -कश्मीर के स्थानीय नेता देश हित के आड़े आये तब तब केंद्र सरकार ने सख्त निर्णय लिए।  यहाँ तक की पंडित नेहरु ने अपने प्रिय मित्र शेख अब्दुल्ला तक को नहीं बक्शा और कई साल जेल में रखा था। बिना जम्मू कश्मीर की जनता का दिल दुखाए 1954 के संशोधन , 1958 के संशोधन , 1959 के संशोधन, 1960 के संशोधन , 1964, 1965, 1966, 1968, 1971, 1986 आदि के संशोधनों द्वारा भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को धीरे धीरे निसप्रभावी कर दिया था । 

अब अनुच्छेद 370  के द्वितीय और तृतीय खंड को निरस्त करते हुए भारत सरकार ने जम्मू- कश्मीर  राज्य का पूर्ण राज्य का दर्ज़ा उससे छीनते हुए उसे जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख नाम के दो केंद्र शासित प्रदेशों  में बाँट दिया।

सरकार द्वारा अनुच्छेद  370 के दो उपबंधों को हटाने के निर्णय का सर्वत्र स्वागत हो रहा है परन्तु यह सच है की सरकार ने यह निर्णय लेते हुए संविधान की मूल भावना के खिलाफ काम किया। यह निर्णय अगर जम्मू और कश्मीर की जनता की इच्छाओं और आकांक्षाओं  को ध्यान में रखते हुए जम्मू - कश्मीर विधान सभा की सहमती से लिए जाते तो जम्मू - कश्मीर की जनता और पूरे विश्व में बेहतर सन्देश जाता।

संसद में इस अध्यादेश पर बहस के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने अध्यादेश के समर्थन में कई झूठ बोले और संसद एवं देश के अवाम को दिग्भ्रमित करने का प्रयास किया।  अमित शाह द्वारा कही गयी कुछ बातों की चर्चा यहाँ करना मैं आवश्यक समझता हूँ। 

अमित शाह जी ने बताया की अनुच्छेद 370 मे संशोधन की वजह से धारा 35-A समाप्त हो जाएगी और सारे भारतीय जम्मू -कश्मीर मे जमीन जायदाद खरीद सकेंगे । अमित शाह जी ने देश को यह बताना चाहिए की क्या भारत सरकार कश्मीर के साथ-साथ हिमांचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर भारत के 8 राज्यो (कुल 10 राज्य) मे भी सारे भारतीयों को ज़मीन खरीदने की इजाजत दे देगी ? या यह भेद भाव सिर्फ जम्मू कश्मीर के साथ है । 

असलियत यह है की जम्मू कश्मीर मे राज्य के बाहर के किसी भी व्यक्ति द्वारा ज़मीन खरीदने पर बंदी वहाँ के महाराज हरी सिंह ने 1927 से लगाई थी ताकि वहाँ जनसंख्या का दबाव न बढ़े और वहाँ का पर्यावरण प्रभावित न हो । जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश सहित जिन जिन 11 राज्यों मे राज्य के बाहर के व्यक्ति को ज़मीन को ज़मीन खरीदने पर रोक है वे सारे राज्य पहाड़ी हैं और वहाँ की मात्र 10 से 20 % ज़मीन रहने और खेती लायक है, बाकी दुर्गम पहाड़ और लेह जैसे रेगिस्तान हैं। अतः वे राज्य बढ़ती जनसंख्या का बोझ उठाने मे असमर्थ है। 

अमित शाह ने बताया की अनुच्छेद 370 की वजह से देश के अन्य प्रदेशों की तुलना में प्रति व्यक्ति तीन से पाँच  ज्यादा पैसा देने के बावजूद जम्मू और कश्मीर का विकास पूरे देश की तुलना में नहीं हुआ। यह बात सफ़ेद झूठ है।  जम्मू कश्मीर का क्षेत्रफल उत्तर प्रदेश का लगभग आधा है।  क्या केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर को उत्तर प्रदेश का आधा या  २०% पैसा भी विकास के लिए देती है।  मेरा जवाब है नहीं। जब की पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण जम्मू - कश्मीर में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में कई गुना ज्यादा धन की जरूरत पड़ती है। 

अमित शाह का आरोप था की अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर मे जो शरणार्थी देश के विभाजन के बाद से रह रहे हैं उन्हे देश की नागरिकता नहीं मिली है । उनका यह वक्तव्य कितना भ्रामक है यह इसी बात से साबित हो जाता है की एक तरफ बीजेपी आसाम मे बांग्लादेश से आए विस्थापितों को बाहर निकाल कर बांग्लादेश भेजने की बात करती है दूसरी तरफ पाकिस्तान से कश्मीर आए पाकिस्तानियों को कश्मीर मे बसाने के लिए मरी जा रही है । 

अमित शाह का आरोप था की अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकारों ने RTE नहीं लागू किया जिसकी वजह से लोग शिक्षित नहीं हुए. जबकि असलियत यह है की गुजरात जहाँ पिछले २० वर्षों से ज्यादा से बीजेपी की सरकार है एक समृद्व राज्य होने के बावजूद वहां सक्षरता दर ७२.१० % है , जब की तमाम आतंकवादी गतिविधियों और दुर्गम क्षेत्र होने के बावजूद जम्मू- कश्मीर में साक्षरता दर ६६.७०% है, जो गुजरात से थोडा ही कम है। दो वर्षों से ज्यादा जम्मू कश्मीर पर बीजेपी का शासन था , तब क्यों नहीं उन्होंने RTE  लागू किया ?

अमित शाह का आरोप था की RTI  लागू नहीं होने से वहां भ्रष्टाचार बढ़ा है।  जबकि बीजेपी सरकार ने पूरे देश में RTI  को कमजोर करने का काम खुद किया है। 2014 से 2019 तक केंद्र में बीजेपी की सत्ता है परन्तु उन्होंने लोकपाल तक की नियुक्ति नहीं की , क्यों? इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ बीजेपी की नीयत साफ नज़र आती है। 

अमित शाह का आरोप है की अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू कश्मीर के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिली।  जब की तथ्य यह है की जम्मू कश्मीर के लोगों की औसत आयु , देश की औसत आयु से ज्यादा है। क्या जम्मू कश्मीर की किसी सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए दी जाने वाली  सहायता नकार दी थी ?

अध्यादेश पर चर्चा के समय पाक अधिकृत कश्मीर को भारत मे जोड़ने और अक्साइ-चिन को लद्दाख मे जोड़ने की बाबत कोई बयान नहीं देते हुये अमित शाह ने दोनों सदनों में ज़मकर बकवास की। 
   
सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है की सरकार के इस निर्णय से देश को और जम्मू कश्मीर राज्य को क्या नफा -नुकसान हुआ है और क्या नफ़ा नुकसान भविष्य में हो सकता है। 

देश को होने वाला फायदा -
१- पूरी दुनियां में यह सन्देश गया है की भारत अब आतंकवाद को बिलकुल बर्दास्त नहीं करेगा। इस निर्णय से प्रधान मंत्री मोदी की छबि एक कठोर निर्णय लेने वाले नेता की बनी है। 
२- जम्मू और कश्मीर पर अब से केंद्र सरकार का पूर्ण नियंत्रण होगा और सरकार के निर्णय वहां लागू करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।

देश को होने वाला नुकसान -
१-  जम्मू -कश्मीर की जनता का भारत सरकार पर से विश्वास कम होगा। 
२- जम्मू - कश्मीर के अराजक तत्व इस मौके का फायदा उठाएंगे और घाटी में आतंकवाद बढेगा।
३- अंतर राष्ट्रीय मंचों पर भारत की छबि एक ऐसे देश की बनेगी जो अपने आश्वासन और वचन नहीं निभाता।
४-  अगर जम्मू कश्मीर में आतंकवाद बढ़ा तो देश को और शहादतें देनी होगी और देश का सुरक्षा खर्च बढ़ेगा ।
५- अगर आतंकवाद बढ़ा तो जम्मू -कश्मीर की अर्थव्यवस्था की कमर टूट जाएगी।
6- अगर आतंकवाद बढ़ा तो उसका खामियाजा कश्मीर के विद्यार्थियों को भी उठाना पड़ेगा ।  

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के प्रस्तुत बयान के बिना यह लेख अधूरा रहेगा ---
"हम सत्ता में रहें या विपक्ष में, फर्क नही पड़ता, हमें देश की चिंता है।
हमें पता हैं लोग अनुच्छेद 370 खत्म होने पर जश्न मना रहें है। हमें उस वक्त भी पता था जब नोटबंदी और जीएसटी पर लोग जश्न मना रहे थे लेकिन फिर भी हमने उसका विरोध किया, हमने कहा देश को नुकसान होगा जिसके चलते कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा, भाजपा को फायदा मिला लेकिन आप सबको पता है नोटबंदी और जीएसटी से देश का नुकसान हुआ था। बेरोजगारी 45 साल का रिर्कोड तोड़ कर बढा, अर्थव्यवस्था पांचवें स्थान से गिर कर सातवें स्थान पर पहुँच गई।
आज लोग जश्न मना रहें है, सभी पार्टियाँ भाजपा के साथ है। लेकिन फिर भी हम कह रहें हैं, भारत को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा,
भले आप सबको अभी लगता होगा कि फायदा है। लेकिन हमें पता है इससे फायदा नहीं देश को नुकसान होगा।
और हमें पार्टी की कुर्बानी मंजूर है लेकिन देश का नुकसान मंजूर नहीं है।"

अभी सिर्फ इतना ही। ईश्वर बीजेपी नेताओं को सद्बुद्धि दे और जम्मू कश्मीर की जनता को धैर्य । 

'नमन' 

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