Tuesday 6 August 2019

धारा 370 और कश्मीर


5 अगस्त 2019 - स्वतंत्र भारत के इतिहास मे आज की तारीख स्वर्णाक्षरों मे लिखी जाएगी या काली स्याही से, यह फैसला आने वाला कल करेगा । आज मोदी सरकार ने जम्मू - कश्मीर और धारा 370 के बारे मे कुछ निर्णय लिए, अध्यादेश लाये गए, दोनों सदनों मे चर्चा हुयी , वोट पड़े । सरकार का दोनों सदनों मे बहुमत फिर से सिद्ध हुआ। यह सब सरकारी फाइलों मे दर्ज़ रहेगा और उन पर आने वाले वर्षों मे विस्तृत चर्चा होगी। 
आज अमित शाह ने अपने राजनैतिक कौशल का लोहा सबसे मनवाया। वे बहुत ही प्रतिभाशाली राजनेता हैं यह आज सिद्ध हो गया। उनके हृदय मे देश के शुभ और मंगल की कामना बनी रहे यही ईश्वर से प्रार्थना। 
शेष आंकड़ों की बात है। कुछ तथ्य और कुछ अनुत्तरित प्रश्न भी हैं .....
- तथ्य -
जम्मू- कश्मीर मे धारा 370 के प्रथम खंड को छोड़ कर बाकी दो खंड और 35-ए समाप्त।
* जम्मू- कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा समाप्त होगा ।
** लद्दाख और जम्मू- कश्मीर दो अलग-अलग केंद्र शासित राज्य होंगे ।
*** सारे भारतीय जम्मू-कश्मीर मे ज़मीन जायदाद खरीद सकेंगे।
**** जम्मू -कश्मीर और लद्दाख के विषय मे सारे निर्णय केंद्र सरकार लेगी। 
***** और भी बहुत से निर्णय हैं जिन पर विस्तृत चर्चा समय समय पर होगी ।

मैं इस निर्णय का स्वागत करता हूँ मगर मेरी अपनी चिंताएँ भी हैं और हैं कुछ अनुत्तरित प्रश्न ...
1- क्या इससे जम्मू -कश्मीर मे आतंकवाद खत्म होगा।
2- क्या इससे कश्मीर मे पाकिस्तान से आने वाले आतंकवादी नहीं आयेगे ?
3- क्या भारत सरकार कश्मीर के साथ-साथ हिमांचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर भारत के 8 राज्यो (कुल 10 राज्य) मे सारे भारतीयों को ज़मीन खरीदने की इजाजत दे देगी ?
4- नयी जम्मू -कश्मीर विधान सभा मे पाक अधिकृत कश्मीर के क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कैसे होगा क्या यह सरकार बताएगी ?
5- क्यों चीन अधिकृत अकसाई चिन के विषय मे कोई बात नहीं की गयी?
6- क्यों पाक अधिकृत कश्मीर के बारे मे सरकार मौन रही ?

पिछले कुछ महीनों का अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम देखें तो आपको लगेगा की मोदी सरकार ने इन निर्णयों से अमेरिका और पाकिस्तान को अवगत करा दिया था और उनसे स्वीकृति ले ली थी। 
मोदी जी ट्रम्प मुलाकात, इमरान ट्रम्प मुलाकात, ट्रम्प द्वारा मध्यस्थता की बात करना... पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अकसाईचिन पर सरकार का मौन? कुछ भी अकारण नहीं था। पर्दे के पीछे कूटनीतिक चालें चली गयी। अमेरिका ने मध्यस्थ का काम किया। पाकिस्तान ने सहमति दी और कार्य सम्पन्न हुआ।
प्रश्न यह उठता है की इन सबकी भारत ने क्या कीमत दी और इस निर्णय की क्या कीमत भारत को भविष्य मे चुकानी पड़ सकती है? 
नमन 


1 comment:

  1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद हर्षवर्धन जी।
    मैं मैं अवश्य ही आपके ब्लॉग बुलेटिन का अध्ययन करूँगा

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