Tuesday, 9 July 2019

मोहब्बत




तुझे हक है की तू मेरा मसीहा मत बन 
एक अहसान कर मुझपे मेरा कातिल बन जा।  
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तुम्हारे दिल से हमारे दिल तक
इक राह जो हमने थी बनायी
तू दूर है तो दिल है तड़पता
और मेरी आँखें छलक रही हैं।
न मैंने तुझको कभी पुकारा
न तूने ही मुझे आवाज दी है
मगर मेरे दिल में तेरी चाहत 
बन के धड़कन धडक रही है।
न अबकी गर्मी में दिल पसीजा 
न अब की बारिश में आँख नम है
न अबकी बाग़ों में फूल आए 
मेरी मोहब्बत तड़प रही है।
नहीं ज़रूरी है हो मोहब्बत
हमको तुमसे और तुमको हमसे
पर तेरी फ़ुरकत का गम है इतना
कि मेरी सांसे सिसक रही हैं।
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आँख नम हैं गमीं का मौसम है
तू नहीं है तो ज़िंदगी कम है।
तुझको चाहा है बड़ी शिद्दत से
मेरी दुनियाँ तुझी से क़ायम है।
तू मुझे ऐसे पराया न समझ
तू मेरा दोस्त मेरा हमदम है।
चल रही आँधियाँ है नफ़रत की
हर तरफ़ हादसों का आलम है ।
जहाँ कल तक थी मोहब्बत कायम
वहाँ हर एक घर में मातम है।
नमन 

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