Monday, 24 June 2019

मोहब्बत


मैंने
की है मोहब्बत
रंगीन तितलियों से
वे मंडराती हैं
फूलों और कलियों पर

मैंने
की है मोहब्बत
फूलों और कलियों से
वे मुस्करा देती हैं
मुझे देख कर
अपनी मोहक सुगंध से
मंहका देते हैं मेरी सांसें

मैंने
की है मोहब्बत
नदियों और झरनों से
उनकी लहरे उछलती हैं
मुझसे मिलने के लिए
और फिर इठलाकर
कल-कल करते हुए
पुकारती हैं मुझे
कहती हैं
आओ मुझमे समा जाओ

मैंने
की है मोहब्बत
वृक्षों से
वे झूम उठते हैं मुझे देख कर
छाया और शीतल बयार देते हैं मुझे
फल आने पर झुक जाती हैं
उनकी डालियाँ
मुझे देने के लिए फल


मैंने
की है मोहब्बत
खेतों और फसलों से
गेंहू और धान की लहलहाती बालियाँ
मटर लता के रंग बिरंगे फूल
सरसों के फूल से पीली हुई धरती
मक्के का जीरा और घूही
सुन्दरता से पाट देते हैं धरती को
समेट लेते हैं मेरा पूरा अस्तित्व
अपने अन्दर

मैंने
की है मोहब्बत
पत्थरों और पहाड़ों से
सर ऊँचा करके खड़ा हिमालय
विन्ध्य और सतपुड़ा की पहाड़ियां
देते हैं मुझे संबल और सीख
दुनियां के तमाम झंझावातों को
स्थिर होकर सहने की

कोई नहीं रोकता मुझे
प्यार करने से
परन्तु जब
मोहब्बत करता हूँ मैं
मनुष्य से
रोक दिया जाता है मुझे
जाती और धर्म के नाम पर
स्त्री और पुरुष के नाम पर
देश और भाषा के नाम पर

क्यों नहीं प्यार कर सकता मैं
सबसे एक साथ
एक ही समय

विनती है आपसे
मत रोकिये मुझे
मोहब्बत करने से
प्रेम करने से
गीत गाने से  ......

'नमन'

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