Tuesday 11 June 2019

ईद



गरीबों
वंचितों
शोषितों
और कमज़ोरों के
लहू से 
तुम्हारे चेहरे का
रंग लाल है
तुम्हारे
झूठ और नफ़रत से
हर गली - हर शहर
हर गाँव लहुलूहान है
हर तरफ़ हो रही
बलात्कार और हत्याएँ
तुम्हारी हिंसक लपलपाती
ज़ुबान का कमाल है. 

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प्रेम ICU में है
मानवीय गुणों के
प्लेटलेट्स कम होने से
जगह जगह फट गई हैं
सामाजिक संरचना की नसें
खूब खून बहा है
मरने की कगार पर है वह
सुना है
सरकारी सहायता न मिलने से
हर जगह संवेदना नामक
अॉक्सीजन का अभाव है
दवा विशेषज्ञ
डॉ सेकुलर को हटा कर
सर्जन डॉ मस्कुलर की
नियुक्ति की गई है
मरीज़ की जान बचाने के लिए
मैं सुबह से
अपने मित्रों को
ईद मुबारक कहने की
कोशिश कर रहा हूँ
पर आवाज़
गले में फँस कर रह गयी है.
नमन

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