Thursday, 27 December 2018

जननी


वो जननी है मेरी वो बोझ मेरा सब उठाती है
वो मेरी बहन है वो स्नेह का झरना बहाती है।
वो मेरी प्रेयसी है मेरे ख्वाबों को सजाती है
वो बीबी है मेरी और घर मेरा वो ही चलाती है ।
मेरी दादी - मेरी चाची, मेरी बुआ- मेरी भाभी
सब मुझ से प्रेम करती हैं मेरे नखरे उठाती है ।
वो मेरी बेटी हैं वही मेरे दिल का टुकड़ा है
मेरे आंगन में खुशियां और बहारें वो ही लाती है।  
मैं  उसको चाहता हूँ और  उससे प्यार करता हूँ
मैं उसको पूजता हूँ आज फिर इकरार करता हूँ.   नमन

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