Wednesday, 19 December 2018

२०१९ के चुनाव का सेमीफइनल


 
पांच राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के अहंकार का परिणाम है. पिछले साढे 4 वर्षों में जिस तरह से दलितों, आदिवासी और माइनॉरिटी पर अत्याचार हुए हैं और केंद्र सरकार उस पर आंख बंद किए बैठी रही उसका परिणाम इन तीन राज्यों के बीजेपी के मुख्यमंत्रियों को भुगतना पड़ा है . मोदी जी और अमित शाह को यह समझना होगा की सिर्फ गाय और राम मंदिर के सहारे चुनावी वैतरणी पार नहीं की जा सकती॰ अपने चुनावी वादे पूरे करने मे मोदी सरकार असफल रही है और उसी का कुफ़ल इन 5 राज्यों मे उसने भुगता है॰

नोट बंदी और जीएसटी की वजह से आई आर्थिक मंदी ने छोटे व्यापारियों की कमर तोड़ दी है, नवजवान बेरोजगार है, किसान आत्महत्या कर रहा है, सरकारी विभागों मे भ्रष्टाचार अपने चरम पर है॰ हालत यह की की बिना घूस दिये न कोई पैदा हो सकता है न मर सकता है॰ बद से बदतर होते जा रहे हालत की वजह से मोदी जी की सल्तनत की तीन मजबूत ईटें खिसक गई हैं. कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता अगर पूरे हौसले से लगे रहे तो अगले कुछ महीनों में राष्ट्रीय स्तर पर एक बीजेपी विरोधी लहर बनाई जा सकती है.

 राजस्थान , मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव के नतीजे यह बताते हैं कि इन राज्यों का एससी- एसटी वोटर  कांग्रेस की तरफ मुड़ा है़. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मायावती ने बसपा के उम्मीदवार खड़े करके कांग्रेस के उम्मीदवारों को हराने में कोई कसर बाकी नहीं रखी थी . बसपा कांग्रेस को हराने की रणनीति लेकर इन राज्यों के चुनाव में उतरी थी. चाहे वह सीबीआई का डर हो या बीजेपी का दबाव या अन्य कोई कारण हो मायावती जी ने जानबूझकर कांग्रेस के गठबंधन के प्रस्ताव को नकारा और इतनी ज्यादा सीटों की मांग कांग्रेस से रखी कि उनके लिए उतनी सीटें दे पाना असंभव था. 

राजस्थान और मध्य प्रदेश में दलितों की इतनी दुर्दशा के बावजूद बीजेपी दलित बहुल इलाकों में अपनी पकड़ बनाए रखी है यह कांग्रेस के लिए चिंता का विषय होना चाहिए. बीजेपी के तीनो सिपहसालारों को मैं बधाई देना चाहूंगा . राजस्थान और मध्यप्रदेश में वसुंधरा राजे सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान की हार में भी उनकी जीत है. 

आने वाले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि में दलितों के वोट पर भरोसा नहीं कर सकती. दलितों पर मायावती का जादू अभी भी कायम है और वे कांग्रेस को हराने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है.  अगर कांग्रेस को  2019 लोकसभा चुनावों में राजस्थान और मध्यप्रदेश में बीजेपी से आगे निकलना है तो उन्हें आदिवासी और दलित समुदाय की आकांक्षाओं को ध्यान में रखना पड़ेगा.
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसानों का कर्ज माफ करके कांग्रेस ने अच्छी शुरुआत की है, परंतु वह काफी नहीं है॰ राजस्थान मे गहलोत और मध्यप्रदेश मे कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाना यह दर्शाता है की चुनावी वर्ष मे राहुल गांधी सँभल- सँभल कर कदम रख रहे हैं। 

इन विधानसभा चुनाव में राजस्थान , मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम पांचों राज्यों में बीजेपी की पराजय हुई. राजस्थान , मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की विजय ने कांग्रेस को एक नई संजीवनी दी है. कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास बढ़ा है. कांग्रेस नेतृत्व की असली परीक्षा अब शुरू हुयी है॰ 

किसान, मुस्लिम  और आदिवासी  वोटर ने इन चुनावों में बीजेपी के खिलाफ वोट किया . इन तीन राज्यों में मुस्लिम आबादी अपेक्षाकृत कम होने की वजह से बीजेपी हिन्दू -मुस्लिम ध्रुवीकरण मे असफल रही है . परंतु जिस वोटर ने बीजेपी को इन राज्यों में नुकसान पहुंचाया वह था किसान और नाराज एस॰सी॰, एस॰टी॰ वोटर.  विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार में सबसे प्रमुख भूमिका अगर किसी ने निभाई है तो वह है इन राज्यों का आदिवासी वोटर.  मध्य प्रदेश मैं एस.टी. के लिए रिजर्व 41 सीटों में से 26 सीटें कांग्रेस ने जीती. आदिवासी बहुल निमाण प्रभाग की 28 सीटों में से 20 सीटें कांग्रेस ने जीती और इसी ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस की जीत का मार्ग प्रशस्त किया.
230 सीटों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में बीजेपी के 109 विधायक और कांग्रेस के 114 विधायक चुन कर आए. 

राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी ST के लिए रिजर्व 25 सीटों में से 11सीट पर और एस. सी. के लिए रिजर्व 34 सीट में से 18 सीट पर कांग्रेस के विधायक चुने गए.  199 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस+  ने 101 सीट जीत कर सरकार बनाई. 

हिंदी भाषी राज्यों में सिर्फ छत्तीसगढ़ ही वह राज्य रहा, जहां एस.सी. और एस.टी. के साथ-साथ ओबीसी ने पूरी तरह कांग्रेस का साथ दिया. एस. टी . के लिए रिजर्व 10 सीटों में से 9 पर कांग्रेसी जीती,  वही एस.सी. के लिए रिजर्व 15 सीटों पर से 14 में कांग्रेस जीती. कुल 90 में से 68 सीट जीतकर कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में बीजेपी का सफाया कर दिया.  डॉ रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ पर 15 साल से शासन करने वाली बीजेपी केवल 15 सीटों पर सिमट गई.

तेलंगाना में कुल 119 सीटों में से 88 सीट जीतकर टीआरएस ने तेलंगाना में पुनः सरकार बनाई कांग्रेस मात्र 19 सीटों पर सिमट कर रह गई जबकि बीजेपी को केवल एक सीट मिली. टीआरएस ने पिछले 5 सालों में तेलंगाना में किसानों के लिए काफी सार्थक प्रयत्न किए हैं . साथ ही राज्य में आदिवासियों का आरक्षण 6% से बढ़ाकर 10% कर दिया.  कांग्रेस की सरकारों ने तेलंगाना से सबक लेकर हिंदी भाषी क्षेत्र के राज्यों के किसानों की बेहतरी के लिए प्रयत्न करने होंगे तभी वह ग्रामीण भारत का हृदय जीत सकेगी.

जैसी की आशा थी मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट ने कांग्रेस को हराकर राज्य में सरकार बनाई. मिजोरम में हर 10 साल के बाद सरकार बदलती है. 10 साल के बाद कांग्रेस सत्ता से बाहर गई और मिजो नेशनल फ्रंट भारी जीत हासिल करके सरकार बनाने जा रही है.

केंद्र का राफेल घोटाला हो , मध्य प्रदेश का व्यापम घोटाला हो , छत्तीसगढ़ का अनाज घोटाला हो,  या राजस्थान का खान घोटाला हो .... इन व अन्य घोटालों के बावजूद कांग्रेस बीजेपी की छवि को वह नुकसान पहुंचाने में असफल रही जो वह उसे पहुंचा सकती थी.  छत्तीसगढ़ में आदिवासियों का उत्पीड़न, मध्यप्रदेश में किसानों पर गोली चलवाना और राजस्थान में दलितों पर हुए अत्याचार बीजेपी पर भारी पड़े. नोटबंदी और जीएसटी की वजह से छोटे छोटे उद्योगों का जो नुकसान हुआ, बेरोजगारी बढ़ी और उसकी वजह से भी शहरी मतदाता भी कुछ हद तक कांग्रेस की तरफ मुड़ा. 

राजस्थान और मध्यप्रदेश महिलाओं पर अत्याचार के लिए कुख्यात रहे हैं, महिलाओं पर हो रहे तमाम अत्याचारों के बावजूद कांग्रेस महिलाओं की नाराजगी को वोटो में बदलने में असफल रही है. सर्वे राजस्थान में जिस तरह की बड़ी जीत कांग्रेस की दिखा रहे थे वह जीत हासिल करने में कांग्रेस असफल रही.

बीजेपी और कांग्रेस की असली परीक्षा अब शुरू होगी॰ 2019 के चुनाव ऐतिहासिक होंगे॰  बीजेपी के धनबल, बाहुबल, कॉर्पोरेट बल,  झूठ बल और संघ बल का सामना राहुल गांधी और कांग्रेस कैसे करते हैं यह देखना दिलचस्प होगा॰ बीजेपी पौने दो व्यक्तियों की पार्टी बन कर रह गयी है॰ एक अमित शाह + पौना -मोदी जी॰ 2014 के चुनावों मे निर्मित मोदी जी का राजनैतिक कद इन साढ़े चार वर्षों मे लगातार घटा है॰ पंजाब और गोवा चुनावों मे हार, मोदी और अमित शाह के अपने किले गुजरात मे येन केन प्रकारेंण सरकार बनाना, कर्नाटक मे मुंह के बल गिरना और अब 5 राज्यों मे बीजेपी का सफाया मोदी और शाह की जोड़ी पचा नहीं पाएगी। 
नमन 

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