- :राम जन्मभूमि -नीति और नीयत:-
भारतीय जनता पार्टी से देश की जनता की 2 सबसे बड़ी अपेक्षाएं थी, जिसके लिए 2014 में उन्होंने मोदी जी को वोट दिया था और उन्हें भारी बहुमत से दिल्ली की गद्दी पर बैठा दिया था .
एक अपेक्षा थी भ्रष्टाचार मुक्त भारत की जिसके लिए देश में लोकपाल की नियुक्ति होनी थी और दूसरी अपेक्षा थी अयोध्या में राम मंदिर बनाने की.
मोदी सरकार पिछले साढे 4 साल से लगातार देश के साथ साथ भगवान राम को भी धोखा दे रही है.
मोदी जी को प्रधानमंत्री बन कर साढे 4 वर्ष हो गए हैं परंतु आज तक लोकपाल नियुक्त करके भारत को भ्रष्टाचार मुक्त करने की दिशा में उन्होंने एक भी सार्थक कदम नहीं उठाया है.
भाजपा नेता और मोदी जी चाहे जो भी बहाना बना ले परंतु यह 200% सत्य है कि मोदी जी नहीं चाहते कि देश में लोकपाल की नियुक्ति हो और उनकी सरकार द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार को लोकपाल उजागर करें.
मोदी जी और उनकी सरकार लोकपाल नियुक्त करना ही नहीं चाहती. अगर मोदी जी को लोकपाल नियुक्त करना होता तो अब तक लोकपाल के लिए आवश्यक कार्यालय का चुनाव कर लिया गया होता, लोकपाल में जिन अधिकारियों की नियुक्ति होनी थी उनकी नियुक्ति और उनकी ट्रेनिंग की व्यवस्था अब तक सरकार ने कर दी होती. लोकपाल कार्यालय के लिए आवश्यक संसाधन , फर्नीचर , कंप्यूटर्स और अन्य उपयोगी चीजें अब तक उस कार्यालय को उपलब्ध करा दी गई होती.
उपरोक्त संदर्भ में मोदी सरकार द्वारा एक भी कदम ना उठाया जाना यह दर्शाता है कि मोदी जी कटिबद्ध हैं कि वह लोकपाल की नियुक्ति नहीं होने देंगे.
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के उनके वादे की पोल यहीं खुल जाती है. सेन्ट्रल विजिलेंस कमिशन का कहना है कि मोदी शासन के पहले 3 वर्षों में सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार 67% बढ़ा है. जो व्यक्ति भ्रष्टाचार मिटाने का वादा करके प्रधानमंत्री बना था उसकी नाक के नीचे इतना बड़ा भ्रष्टाचार हो रहा है फिर भी वह उसको रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है यह अपने आप में बड़ी दुखद बात है.
इसी तरह उत्तर प्रदेश से लेकर केंद्र तक बीजेपी की सरकार होते हुए भी अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू न करना मोदी जी की नीयत का सबसे बड़ा उदाहरण है. भाजपा नहीं चाहती है कि राम मंदिर बने अन्यथा वह राम मंदिर बनाने के अन्य रास्ते साढे 4 वर्षों में निकाल लेती.
आज मोदी जी की पूर्ण बहुमत वाली सरकार केंद्र में है और पूर्ण बहुमत वाली सरकार उत्तर प्रदेश में भी है. इसके बावजूद अगर राम जन्मभूमि स्थल पर एक ईंट नहीं रखी गई तो यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि मोदी जी सिर्फ नफरत की राजनीति कर रहे हैं.
उन्हें राम से कोई लेना देना नहीं है.
गंगा सफाई और राम मंदिर के निर्माण के नाम पर देश के हिंदुओं को बेवकूफ बनाने का काम मोदी जी पिछले साढे 4 साल से कर रहे हैं.
राम जन्मभूमि के 2.77 एकड़ पर राम मंदिर के निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट से रोक लगी है यह मैं मानता हूँ, परंतु इस जमीन के आसपास की लगभग 61 एकड़ जमीन जो कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार ने 1993 में राम जन्मभूमि मंदिर संकुल बनाने के लिए अधिग्रहित कर ली थी और जिस पर आज सरकार का कब्जा है. उसका विकास करने, उस पर प्रस्तावित लाइब्रेरी और राम के चरित्र पर विश्वस्तरीय म्यूजियम बनाने से बीजेपी को किसने रोका है?
आप हिंदुस्तान में एक व्यक्ति नहीं पाएंगे जिसने इसका विरोध किया हो. अगर भारतीय जनता पार्टी सरकार इस 61 एकड़ जमीन में म्यूजियम, लाइब्रेरी , बगीचा आदि का निर्माण कर चुकी होती तो आज उस पर कोई उंगली नहीं उठाता.
कांग्रेस की यह मजबूरी रही है कि पिछले 30 साल में उत्तर प्रदेश में कभी कांग्रेस सत्ता में नहीं रही वरना राम मंदिर कब का बन गया होता.
राजीव गांधी के प्रधानमंत्री काल और वीर बहादुर सिंह के मुख्यमंत्री काल ही राम मंदिर का ताला खुला.
नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्री काल में कांग्रेस ने लगभग 61 एकड़ जमीन राम जन्मभूमि मंदिर के लिए अधिग्रहित की. परंतु उत्तर प्रदेश में तब से लेकर अब तक कोई कांग्रेस की सरकार चुनकर नहीं आई जिसके कारण रामलला आज भी टाट में बैठे हुए हैं.
रामलला टाट में हैं और रामलला के नाम पर देश के प्रधानमंत्री ठाट में हैं. भारतीय जनता पार्टी का यह दोहरा चरित्र उनकी नीयत का आईना है. कोई भी व्यक्ति जो धर्म का उपयोग राजनीति के लिए करता है वह धार्मिक हो ही नहीं सकता.
देर से ही सही कुछ सार्थक कदम उठाइए मोदी जी वरना देश का इतिहास आपको कभी माफ नहीं करेगा.
No comments:
Post a Comment