Thursday 1 November 2018

पं नेहरू और सरदार पटेल-

पं नेहरू और सरदार पटेल-
सरदार पटेल की 148 वीं जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन.
सरदार पटेल और पं नेहरू के संबंधों पर संघ परिवार हमेशा से कीचड़ उछलता रहा है.
संघ परिवार का झूठ - सरदार पटेल को पं नेहरू ने प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया.
सत्य- स्वतंत्रता के समय सरदार पटेल की आयु 72 वर्ष हो चुके थी और उन्हें एक बार दिल का दौरा पड़ चुका था.
महात्मा गांधी सरदार पटेल की बीमारी और उनकी शारीरिक क्षमता को जानते थे अतः उन्होंने 58 वर्षीय पं नेहरू को भारत का पहला प्रधानमंत्री बनाया.
महात्मा गांधी की दूरदृष्टि सही सिद्ध हुई और जनवरी 1948 में नाथूराम गोडसे द्वारा महात्मा गांधी की हत्या के सदमे को बर्दाश्त ना कर पाने के कारण मार्च 1948 के पहले हफ्ते में ही सरदार पटेल को दिल का दूसरा दौरा पड़ा.
उस समय आज जैसी सुविधाएं देश में मौजूद नहीं थी. सरदार पटेल के होश में आने तक पं नेहरू लगातार उनके पास बैठे उनका सर सहलाते रहे और रो रहे थे.
स्वतंत्रता के 3 वर्षों के अंदर ही 1950 में लंबी बीमारी के बाद सरदार पटेल का देहावसान हो गया.
संघ परिवार का झूठ- सरदार पटेल को पं नेहरू और कांग्रेस ने सम्मान नहीं दिया.
सत्य- संघ परिवार झूठ का वह वटवृक्ष है जो स्वतंत्र भारत के नौजवानों की रास्ते में झूठ के कांटे और नफरत के बीज बो रहा है. देश के सबसे झूठे प्रधानमंत्री मोदी जी ने तो झूठ बोलने की सारी हदें पार कर ली जब उन्होंने कहा कि सरदार पटेल की अंत्येष्टि में पं नेहरू शामिल नहीं हुए थे.
* सरदार पटेल की स्मृति में पं नेहरू और कॉन्ग्रेस ने लाखों करोड़ रुपए खर्च करके गुजरात में सरदार सरोवर बांध का निर्माण कराया, जिससे मध्यप्रदेश और गुजरात के लाखों किसानों को पानी उपलब्ध हुआ और दोनों प्रदेशों का सिंचित क्षेत्र 25% बढ़ गया. यह किसानों के नेता सरदार पटेल को पं.नेहरू द्वारा दी गई सबसे बड़ी श्रद्धांजलि थी.
* सरदार पटेल देश के पहले गृह मंत्री थे और उनके नाम पर देश में आईपीएस अफसरों की ट्रेनिंग करने वाली संस्था को सरदार पटेल का नाम देकर पं नेहरू ने सरदार पटेल को स्मृति शेष रखा.
* अहमदाबाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम सरदार पटेल के नाम पर रखकर कांग्रेस ने सरदार पटेल को एक और श्रद्धांजलि दी.
* कांग्रेस ने गुजरात के विधान भवन का नाम सरदार पटेल के नाम पर रखा और भारतीय प्रजातंत्र में उनके योगदान को प्रणाम किया.
* सरदार पटेल को देश के इतिहास में उचित सम्मान देते हुए पं नेहरू सरदार पटेल के परिवार को भी नहीं भूले थे.
सरदार पटेल के पुत्र और पुत्री दोनों को पं नेहरू ने तीन-तीन बार सांसद बनाया.
* आज देश में कोई बड़ा शहर ऐसा नहीं होगा जहां पर सड़क, चौराहे, अस्पताल, स्कूल, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, सरदार पटेल के नाम पर न हो.
सरदार पटेल और पंडित नेहरू के संबंधों के बारे में बात करते हुए हम अक्सर यह भूल जाते हैं सरदार पटेल और पंडित नेहरू की उम्र में 14 साल का अंतर था.
महात्मा गांधी, सरदार पटेल, मदन मोहन मालवीय और मोतीलाल नेहरू आदि हम उम्र और मित्र थे, ये कांग्रेस की एक पीढ़ी के नेता थे,
और
दूसरी पीढ़ी में पंडित नेहरू, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, जयप्रकाश नारायण आदि आते थे जो उम्र में काफी कम थे और युवा थे.
मोतीलाल नेहरू का मित्र होने के कारण सरदार पटेल , महात्मा गांधी, मदन मोहन मालवीय आदि पंडित नेहरू के लिए पितृ तुल्य रहे.
जब हैदराबाद के बदले में सरदार पटेल पाकिस्तान को कश्मीर देने पर तैयार हो गए थे तब पंडित नेहरू ने पूरी नम्रता से सरदार पटेल को मनाया कि ऐसा करना देश हित में नहीं होगा और सरदार पटेल ने अपना पूरा स्नेह पंडित नेहरू पर लुटाते हुए पंडित नेहरू की बात मान ली.
जब महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर पाबंदी लगा दी थी तब पुनः पं नेहरू का अनुरोध मानकर सरदार पटेल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर से सशर्त वह पाबंदी हटाई.
सरदार पटेल और पं नेहरू की तुलना का कोई औचित्य नहीं है और यह तुलना की भी नहीं जा सकती.
स्वतंत्र भारत के निर्माण में जहां पटेल ने अपने जीवन के मात्र 3 वर्ष लगाए वहीं पंडित नेहरू ने स्वतंत्र भारत के निर्माण में अपने जीवन के 17 वर्ष दिए. अत: पंडित नेहरू ने अवश्य ही देश के पुनर्निर्माण में ज्यादा भूमिका निभाई है.
पिछले कुछ वर्षों में देश में एक बात अच्छी हुई है की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी के नेताओं ने कांग्रेस के महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों जैसे सरदार पटेल, महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार भगत सिंह आदि को सम्मान देना शुरू कर दिया है, और देश की स्वतंत्रता में उनके योगदान को रेखांकित करना शुरू किया है.
आज के दिन एक बार पुनः लौह पुरुष, आयरन लेडी और प्रेमामृता को कोटि-कोटि नमन!
नमन

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