Wednesday 7 March 2018



उसके नाम...

उससे मिलना भी इक कहानी थी
कभी वह भी मेरी दीवानी थी..

प्रेम था
दर्द था -आस थी
वो मेरे दिल की धड़कन
मेरा विश्वास थी.

कभी देखे थे हमने
उसकी आंखों से ख्वाब
रोमानियत में उसका
नहीं था कोई जवाब ...

उलझी हुई
जीवन की पगडंडियों पर
आगे बढ़ती हुई
खो गई वह
जैसे कभी उसकी
उलझी जुल्फों में
खो जाया करता था मैं...

आज भी खोजता हूं
उसे अकेले में
भीड़ में
जिंदगी के मेले में
हां
उससे मिलना भी इक कहानी थी
कभी वह भी मेरी दीवानी थी..

जब भी लहराता है
कोई रंगीन दुपट्टा
ढलती है गर्मियों की शाम
या
गरजकर बरसता है
सावन का मेघ
महकती है रात रानी
खनकती है चूड़ियां
धीरे से बजती है पायल
चुपचाप खामोशी से
उसकी याद
चली आती है
मेरे पास
उतर जाती है सांसो में
आहिस्ता
और
मैं, मैं नहीं रह जाता
हाँ
उसका मिलना भी इक कहानी थी
कभी वह भी मेरी दीवानी थी.
नमन

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