Sunday, 21 January 2018

हुस्न

                      हुस्न 

हुस्न वालों की अदाओं का असर देखेंगे
तीर नज़रों के और बातों का हुनर देखेंगे.

क़त्ल करने को उनकी सादगी ही काफी थी
संवर के आये हैं तो उसका कहर देखेंगे.

क़यामत ढा रहा है चाँद आज महफ़िल में
अगर जिंदा रहे तो कल की सहर देखेंगे.

उसने पाले हैं आस्तीन में सांप विष वाले
वक़्त आने पर हम उनका भी ज़हर देखेंगे.


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कोई माने न माने हमने मोहब्बत की है
एक हसींन बुत की तमाम उम्र इबादत की है.

आज कल इश्क की गलियों में सन्नाटा है
क़ाज़ी ने प्रेम न करने की हिदायत की है.

उसे भुलाने की कोशिश बहुत की है मैंने
मेरे दिल ने मगर मुझसे ही बगावत की है. 

आज फिर सीमा पर दुश्मन हमें ललकार रहा 
हम मिटा देंगे उसे जिसने यह जुर्रत की है. 

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