Sunday 20 August 2017

नमन



मोहब्बत लिख के भेजा था वो चिट्ठी लौट आई है 
डाकिये ने लिखा है अब इस पते पर कोई नहीं रहता.
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दिल है बर्बाद मगर खुश हूँ इस बर्बादी पर
उसका कब्ज़ा है मेरे दिल की इस आबादी पर.
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हुश्न वालों से कायम है आधी दुनिया 
बाकी आधी को इसी हुश्न ने बर्बाद किया.
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मैं मोहब्बत हूँ सूली पे चढ़ा दो हमको
कम से कम इतना तो चाहत की सज़ा दो हमको.
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इश्क का रोग  है तो जान लेकर जायेगा
जब तलक जियेंगे हमें उम्र भर सताएगा.
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बहुत दिनों से किसी ने नहीं दिया धोखा
इन दिनों यार की कमी बहुत सताती है.
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है ज़हरीली जुबान और आस्तीन में खंजर है
जिस तरफ देखिये दुनियां में यही मंजर है.
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ए मेरा मुल्क है इसकी इबादत रोज करता हूँ  
इसी पर जान देता हूँ, इसी से प्यार करता हूँ.
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तुझे हक है की तु बेशक इसे दीवानगी कह ले 
वतन पर जान देने को मेरी बेहूदगी कह ले.
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आसमान रो रहा है हर तरफ मातम ही मातम है
हुकुमत कह रही है ए बच्चो के मरने का मौसम है.

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मैंने आवाज़ दी खुशियों को चले आये गम 
तब ए जाना की हमदम है ख़ुशी और ए गम.
नमन 

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