Saturday, 25 March 2017

तौहीन




मोहब्बत की गमींं भी क्या गमीं है 
मोहब्बत में गमों की क्या कमी है। 
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यूँ बेवजह न प्यार से हमको पुकारिए 
है प्यार अब गुनाह सियासत की नजर में। 

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वह बेवफा हुआ तो हमें यह पता चला 
इन इश्क की गलियों में वफादार नहीं हैं.
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है ऐसा क्यों कि कोई बेवजह ही याद आता है
मेरे ख्वाबों में आकर वह मुझे बेहद सताता है। 

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होश में आऊं तब तो जाम उठाऊं यारों
उससे नजरें मिलाके होश गवां बैठा हूँ। 

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शराब होठों से लगाएं तो लगाएं कैसे
तेरी मस्त निगाहों की तौहीन हो ना जाए।  

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ग़मों से प्यार करो , आंसुओं के जाम पियो 
किसी से प्यार करो, लेके उसका नाम जियो।  

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कृष्ण के देश में
साधु के भेष में
प्रेम को है लगाई
बेड़ी कंस ने.
खड्ग नफरत की
बाहर म्यानो के है
बातें अब कब्रगाहों
श्मशानों की हैं.
हम मोहब्बत करें
भी तो कैसे करें
प्रेमियों की जगह
कैदखानों में है.
नमन

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