Sunday 19 March 2017

हिन्दू तालिबान

                                                     
भारतीय नेताओं और भारतीय जनमानस को अरब देशों इराक,ईरान,सीरिया, अफगानिस्तान और पाकिस्तान आदि से सबक लेना चाहिए .
अरब देशों में कच्चे तेल के उत्पादन के कारण अचानक बड़ी तेजी से आई समृद्धि से यूरोप और अमेरिका के देश घबरा गए.
अगर कच्चे तेल का उत्पादन करने वाले देश अपने आर्थिक संसाधनों का उपयोग उद्योगों को बढ़ावा देने और रोजमर्रा की आवश्यक चीजों के उत्पादन पर खर्च करते तो यूरोप और अमेरिका के देशों की कंपनियां जो लगातार अरब देशों के रोजमर्रा की जरूरत की चीजें उन्हें निर्यात कर रही थी उनमे ताला लग जाता .
इन्हें रोकने का उनके पास एक ही इलाज था कि यहां पर धार्मिक आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाए ताकि यहां का अर्थतंत्र पूरी तरह ध्वस्त हो और अमेरिका और यूरोप में बने जरूरत के सामान और युद्ध के हथियार यह देश लगातार खरीद सके . जिससे यूरोप और अमेरिका के उद्योग धंधों और आर्थिक संस्थाओं को लाभ हो.
अगर हम जरा भी दिमाग लगाकर सोचें तो पाएंगे कि अगर यूरोप और अमेरिका की हथियार कंपनियां तमाम मुसलमान आतंकी संगठनों को हथियार बेचना बंद कर दें तो आतंकवाद अपने आप खत्म हो जाएगा .
पर क्या वे ऐसा करेंगे ?
नहीं .
क्योंकि अरब देशों के आतंकवाद से यूरोप और अमेरिका की कंपनियां लगातार आर्थिक लाभ कमा रही है.
कच्चे तेल के उत्पादन से जो अकूत धन संपत्ति अरब देशों के पास आई थी उनका उचित उपयोग अगर उन देशो ने किया होता तो दुनिया के तमाम उत्पादन, तमाम चीजें बनाने की कंपनियां आज अरब देशों में होती और वह दुनिया के सबसे बड़े निर्यातक होते.
अगर ऐसा हुआ होता तो आज यूरोप और अमेरिका की हजारों बहुराष्ट्रीय कंपनियां आर्थिक मंदी की शिकार होकर बंद हो गई होती.
अरब देश उत्पादक ना होकर उपभोक्ता बने रहें इसी में यूरोप और अमेरिका का भला था .
इस काम के लिए उन्होंने मुसलमान मुल्ला मौलवियों को आगे करके इस्लामिक आतंकवाद का भूत खड़ा किया और अरब राष्ट्रों को तबाह कर दिया.
आज भारत 125 करोड़ उपभोक्ताओं वाला देश है भारत में जिस तेजी से औद्योगिकरण हो रहा था,
जिस तेजी से हम सिर्फ उपभोक्ता ना होकर अपनी उत्पादकता बढ़ाकर , निर्यातक बनते जा रहे थे वह यूरोप और अमेरिका के देश पचा नहीं पा रहे थे.
चार दशक पहले तक जो देश अनाज और कपड़े से लेकर अपनी सारी जरूरत की चीजें यूरोप और अमेरिका से आयात कर रहा था वह इन 40 -50 वर्षों में अचानक इतना प्रगति कर गया कि उसकी कंपनियां यूरोप और अमेरिका की बहुराष्ट्रीय कंपनियों से टक्कर लेने लगी.
यह यूरोप और अमेरिका के देशों के लिए चिंता का विषय बना.
अरब देशों की तर्ज पर अमेरिका और यूरोप के देश यह चाहते हैं कि भारत में भी धार्मिक आतंकवाद का उदय हो. अस्थिरता हो, हम धर्म के नाम पर आपस में लड़े , उद्योग धंधे बंद हो और हर चीज के लिए , अपनी हर आवश्यकता के लिए हम यूरोप और अमेरिका की तरफ देखें ताकि उनका व्यापार उनका व्यवसाय जो मंदी की चपेट में आ गया है पुनर्जीवित हो सके.
कम पढ़ा लिखा होने की वजह से भारत का मुस्लिम नागरिक पहले ही मूल्ला मौलवियों और अपने धार्मिक गुरुओं के चंगुल में फंसा हुआ था. जो लगातार मैं न सिर्फ उनका आर्थिक दोहन कर रहे थे बल्कि उन्हें हिंदुओं के खिलाफ भड़का रहे थे.
1990 के दशक के बाद हिंदू कट्टरवाद नेभी भारत में अपनी जड़ें मजबूत करना शुरू कर दिया .
पश्चिम के देश इसे बड़े ध्यान से देख रहे थे.
धीरे-धीरे हिंदू धार्मिक संगठन मजबूत होते चले गए.
इन सब के पास कहां से इतना धन आया , कहां से इन्हें अपने बड़े बड़े संगठन चलाने के लिए लगातार पैसा मिला, यह एक शोध का विषय है.
मेरी चिंता यह नहीं है कि हिंदू संगठन क्यों आर्थिक रुप से समृद्ध हुए और कैसे समृद्ध हुए ?
मैं खुद ब्राह्मण हूं , हिंदू हूं, काशी और प्रयाग की, गंगा की भूमि से हूं , हिंदू संस्कृति पर , सनातन धर्म पर मेरी अगाध श्रद्धा है, वह मेरे हृदय का हिस्सा है, और इसीलिए यह मेरी चिंता है कि हिंदू धर्म तभी मजबूत हो सकेगा जब भारत मजबूत होगा .
जब भारत का आर्थिक और औद्योगिक विकास होगा. जब भारत में स्थाईत्व होगा , जब भारत में आंतरिक कलह नहीं होगा ,जब भारत सुरक्षित होगा तभी हम आर्थिक और औद्योगिक क्षेत्र में यूरोप और अमेरिका के देशों को टक्कर दे सकेंगे.
अब हमें यह तय करना होगा कि क्या स्वार्थी मुल्ला मौलवियों और कुछ दिग्भ्रमित मुसलमान युवकों
एवम् लालची और सत्ता के लिए कुछ भी करने को लालायित हिंदू पोंगा पंथियों का कहना मान कर देश को अंतर्कलह के उस अंधे कुएं में ढकेल दें जिसमें जिसमें पूरा अरब विश्व और मुसलमान देश गिर चुके हैं .
या अकल से काम लें और धर्म के इन व्यापारियों को कहे कि वे हम सब हिंदू ,मुसलमान, सिख, इसाई, पारसी भारतीयों को भाई चारे के साथ जीने दे,
ताकि हम सब मिलकर एक मजबूत हिंदुस्तान को और मजबूत हिंदुस्तान बनाएं .
उसे दुनिया का नंबर एक देश बना सकें और एक मिसाल कायम करें पूरी दुनिया के लिए.
हम दुनिया से कह सकें की आओ और देखो मनुष्यता अगर कहीं पलती बढ़ती है तो हमारे देश में.
आइए एक सशक्त हिंदुस्तान के लिए, अपने देश को दुनिया का सबसे समृद्ध और सबसे शक्तिशाली देश बनाने के लिए आपस की छोटी-छोटी लड़ाइयां बंद करें और गरीबी अशिक्षा और बेकारी के खिलाफ बड़ी लड़ाई के लिए हाथ मिलाए.

नमन 

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