हमें लगता है शहादत का इरादा है तेरा
वरना किसकी मजाल है जो सच को सच कह दे।
--------
मैं किन के निशाने पे हूँ यह जानता हूँ मैं
थोडा बहुत उसकी नजर पहचानता हूँ मैं।
नफरत का बोझ हमसे उठाया न जायेगा
सिर्फ मोहब्बत को खुदा मानता हूँ मैं।
थोडा बहुत उसकी नजर पहचानता हूँ मैं।
नफरत का बोझ हमसे उठाया न जायेगा
सिर्फ मोहब्बत को खुदा मानता हूँ मैं।
---------
किसान का पैगाम
भले ही सूख गए हैं नहर और कुंवे सब
हमारी आँख के आंसू अभी सलामत हैं।
हमारी आँख के आंसू अभी सलामत हैं।
पेट में रोटी और बदन पे पैरहन न सही
हमारे दिल में देश के लिए मोहब्बत है।
हमारे दिल में देश के लिए मोहब्बत है।
हम नेता नहीं जो झूठ की सियासत करें
हमारे दिलों में सबके लिए मुरव्वत है।
हमारे दिलों में सबके लिए मुरव्वत है।
हमारी धरती माँ सबका पेट भरती है
उसकी सेवा ही हमारे लिए इबादत है।
उसकी सेवा ही हमारे लिए इबादत है।
तुम्हे नफरत मुबारक और मुहब्बत हमको
हमारी भारत माता ही हमारी जन्नत है।
'नमन'
हमारी भारत माता ही हमारी जन्नत है।
'नमन'
आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति महादेवी वर्मा और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। एक बार आकर हमारा मान जरूर बढ़ाएँ। सादर ... अभिनन्दन।।
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.....
पेट में रोटी और बदन पे पैरहन न सही
हमारे दिल में देश के लिए मोहब्बत है।
http://eknayisochblog.blogspot.in
किसानों के लिए आज की सरकार बहुत चिंचित है..अब उनके दिन फिरने वाले हैं
ReplyDeleteAmazing poetry
ReplyDelete