Friday 16 December 2016

परहित सरिस धरम नहिं भाई

परहित सरिस धरम नहिं भाई – पर पीड़ा सम नहिं अघमाई .
८ नवम्बर की रात १२ बजे से नोट बंदी की घोषणा क्या हुई, तबसे आधा हिंदुस्तान बैंक की लाइन में है.
जनता इस भ्रम में खुश हैं की भले उन्हें लाइन में लगना पड रहा है, भले कई कई दिन से वे परेशान हैं पर काला धन रखने वाला बड़ा व्यापारी जादा परेशान है.

बड़ा व्यापारी खुश है जनता को लाइन में खड़ा परेशान होते, मरते देख कर.
क्या पाप है बैंक की लाइन में खड़े किसान ने? क्या पाप किया है लाइन में खड़े दिहाड़ी मजदूर ने? क्या पाप किया है सब्जी का ठेला लगाने वाले आदमी ने? पर ये सब लाइन में खड़े हैं. ३६ दिन से लगातार लाइन मे खडा है आधा हिन्दुस्तान और भक्त खुश हैं.
देश का लगभग ५०% हिस्सा अभी भी इन्टरनेट से नहीं जुडा है और प्रधानमंत्री खुश हैं, मुस्कराते हुए डिजिटल बैंकिंग की बात कर रहे हैं.
देश के लाखों मजदूर बेकार हो गए हैं. लोगों के पास दवा के लिए पैसे नहीं हैं, पैसे के लिए गरीब बेटियों की शादियाँ रुक गयी हैं पर बीजेपी नेता खुश हैं.
बड़े व्यापारी और नेता १०० से ५०० करोड़ तक शादियों पर उड़ा रहे हैं. कोई बड़ा व्यापारी बैंक की लाइन में नहीं है. बैंक के कर्मचारी खुद बड़े लोगों को करोड़ों रु के नए नोट पहुंचा रहे हैं. अंध भक्त खुश हैं.
भ्रष्टाचार बढ़ गया है. ३० से ४०% में पुराने नोट की जगह नए नोट मिल रहे हैं. हजारों बैंको के कर्मचारी करोडपति हो चुके हैं. सुनार ५०,००० रु तोला तक सोना बेंच कर माला माल हो गए हैं, पेट्रोल पम्प वालों, डाक्टरों, रेल कर्मचारियों ने लाखों रु के पुराने नोट नए नोट में बदल कर हजारों करोड़ कमा लिए.
नोट बंदी पर आरएसएस खुश है, बीजेपी खुश है.
इस नोटबंदी मे सिर्फ BJP ही है जो हजारो बाईक खरीद रही, सैकडो प्लाट खरीद रही है और सैकड़ो करोड़ो खर्च करके परिवर्तन रैलिया कर रही है ... वो भी सब नगद कैश.. अंध भक्त खुश हैं !!!
‘नमन’

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