Tuesday, 29 November 2016

-अभिशप्त कांग्रेस-
मैं कांग्रेस को अभिशप्त क्यों कह रहा हूँ?.
आज कांग्रेस इतिहास के जिस मोड़ पर खड़ी है, वह वहां कैसे पहुंची? क्या इसपर आत्ममंथन नहीं होना चाहिए. कांग्रेस के सभी नेता इससे सहमत हैं की कांग्रेस एक ‘विचार’ है. विचार शाश्वत होते हैं, मरते नहीं. पर अगर इन विचारों को मथा न जाए, आंदोलित न किया जाये तो यह धीरे धीरे शांत होकर तलहटी में बैठ जाते हैं. लोगों को दिखाई नहीं पड़ते, अनुभव में नहीं आते. कांग्रेस का मूल चरित्र आन्दोलन का रहा है. यह आन्दोलनों से पैदा हुयी, आन्दोलनों में पली और बलिदानों से जवान हुयी.
लगातार सत्ता में रहने के कारण यह अपना आंदोलनात्मक चरित्र खोकर चेहराविहीन हो गयी है. आज कांग्रेस अपना अस्तित्व तलाशती नज़र आ रही है. यह कांग्रेस के लिए आत्मचिंतन/ आत्ममंथन का समय है. कांग्रेस अपनी समस्याओं का हल बाहर खोज रही है, जबकि उसकी समस्याओं का हल उसके अन्दर ही है.
कांग्रेस ने इस देश को प्रजातंत्र नाम का नया धर्म दिया. उस धर्म को जिंदा रखने की, फलने फूलने देने की जिम्मेवारी भी कांग्रेस पर है. कांग्रेस को प्रखर राष्ट्रवाद, समाजवादी चिंतन और आन्दोलन के अपने मूल चरित्र को जनता में उजागर करना होगा.
आन्दोलन की राजनीती से कांग्रेस कार्यकर्त्ता के आत्मविश्वास में वृद्धि होगी, उसका मनोबल बढेगा और प्रखर राष्ट्रवाद उसे नवयुवकों से जोड़ेगा. कांग्रेस में नवउर्जा का संचार नयी पीढ़ी ही कर सकती है. नवयुवक उर्जावान होता है, उसकी सकारात्मक उर्जा को दिशा देनी होगी, उसे प्रोत्साहित करना होगा.
कांग्रेस को नए नारों की जरुरत है, नए विचारों की जरुरत है, नए युवाओं की जरुरत है.
मैं हमेशा से कहता आया हूँ की कांग्रेस में दो तरह के लोग हैं, १- जो कांग्रेस में हैं. २- जिनमे कांग्रेस है. जो कांग्रेस में हैं वे रहें, उनका स्वागत है पर जिनमे कांग्रेस है उन्हें जिंदा करना होगा, उनमे आग फूकनी होगी.
अगर कांग्रेस का वर्तमान नेत्रित्व दिशाहीन होकर टुकड़ों की राजनीति करेगा तो देश पर इसके बहुत विपरीत परिणाम होंगे और हमारे पुरखे जिन्होंने अपनी शहादतों, अपने खून और पसीने से यह देश रचा, बनाया, विकसित किया ... हमें कभी माफ़ नहीं करेंगे.
कांग्रेस नेतृत्व राष्ट्र चेतना/ प्रखर राष्ट्रवाद की मशाल जलाने और आन्दोलन के माध्यम से उसे जन जन तक पहुंचाने का काम जितना शीघ्र शुरू करेगा उतना शीघ्र कांग्रेस का पुनरुत्थान होगा.
आपका,
ओमप्रकाश(मुन्ना) पाण्डेय उर्फ़ ‘नमन’

कल्याण 

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