माफ़ करिए
नहीं हूँ मैं कवि
मैं कवि बिलकुल नहीं हूँ
कवि
तराशता है सत्य को
रचता है छंद
गढ़ता है बिंब
जोड़ता है उसे
विमर्शों के माया जाल में
मैं तो
आईना हूँ
देखता हूँ
और दिखा देता हूँ आपको
पूर्ण सत्य
जैसे का तैसा
बिना किसी कांट छांट
या
जोड़ तोड़ के....
'नमन'
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