Monday, 21 November 2016

सत्य


माफ़ करिए 
नहीं हूँ मैं कवि 
मैं कवि बिलकुल नहीं हूँ 
कवि 
तराशता है सत्य को 
रचता है छंद 
गढ़ता है बिंब
जोड़ता है उसे 
विमर्शों के माया जाल में 
मैं तो 
आईना हूँ 
देखता हूँ 
और दिखा देता हूँ आपको 
पूर्ण सत्य 
जैसे का तैसा 
बिना किसी कांट छांट 
या 
जोड़ तोड़ के....
'नमन'


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