Wednesday, 2 November 2016

प्रेम पर कर्फ्यू

प्रेम पर कर्फ्यू ----

‘प्रेम गली अति सांकरी- या में दुई न समाई’
यह गूढ़ वाक्य बचपन में ही समझा दिया गया था. पर जवान होते होते दिल से आवाज़ आने लगी ‘ये दिल मांगे मोर’
बड़ी भ्रान्ति उत्पन्न हुयी मन में. एक तरफ कहा जा रहा है की प्रेम गली अति सांकरी...
दूसरी तरफ दिल मांगे मोर.... अब लगने लगा की संकरी प्रेम गली मे ट्रैफिक जाम बड़ा कष्टदायी है. 
काश! ये गली चौड़ी करके इश्क- मोहब्बत का हायवे बना दिया जाता ! कुछ टूट फूट होती ज़रूर पर प्रेम भरे दिल भर्र -भर्र करते निकल जाते अपने गंतव्यों की तरफ. साथ -साथ दौड़ने की भी सुविधा थी. सोचते, सुहाने कल के सपने देखते जवानी गुजर रही थी की हमारे न सही पर आने वली पीढ़ी के प्रेम रथ स्वतंत्रता पूर्वक दौड़ सकेंगे इन गलियों में. प्रेम से सराबोर धड़कते दिलों, मंहकती साँसों, फूल सी खिली मुस्कराहटों के दिन आयेंगे. दिल ख़ुशी से झूमेगा, मन नाचेगा, प्रेम के सुरों से गूंज उठेगी धरा, धरती पर रचेंगे हम स्वर्ग- प्रेम का, आनंद का...
पर देखते ही देखते प्रेम गली में करफ्यू लग गया. प्रेम पर प्रतिबन्ध. घर में रहो, परदे में रहो, गली में से गुज़रो भी तो सर नीचे किये, जैसे कोई पाप करके निकल रहे हो, परदे में हो सब काम, छिप छिप कर. प्यार का सार्वजनिक प्रदर्शन अचानक पाप हो गया. प्यार खुद अभिशाप बन गया. आप खुले आम गालियाँ बक सकते हैं, एक दुसरे पर जूते फेंक सकते हैं, एक दुसरे का सर फोड़ सकते हैं पर एक दुसरे से प्यार भरे दो बोल नहीं बोल सकते. नहीं लग सकते एक दुसरे के गले. नहीं कह सकते किसी से की मैं आपसे प्यार करता हूँ... ना .. कदापि नहीं.
कृष्ण के देश में, सूर, मीरा, ग़ालिब और मीर के देश में, रसखान और फिराक के देश में प्रेम पर प्रतिबन्ध है, प्रेम अभिशाप हो गया है.
आज अगर शम्मी कपूर के ‘याहू... चाहे कोई मुझे जंगली कहे’ वाले स्टाइल में आप प्रेम प्रदर्शित कंरने की कोशिश भी करें तो ९०% संभावना है की धर्म के ठेकेदार आपके हाथ पैर तोड़ देंगे. १०% संभावना आपकी हत्या की भी है. जिंदा रहे तो जेल जाना निश्चित.
कहाँ तो हम सोच रहे थे प्रेम के हायवे की बात और कहाँ प्रेम गली में धर्म और कानून के स्पीड ब्रेकर बना दिये गए. हमारी पीढ़ी गाती थी-
‘नफरत करने वालों के सीने में प्यार भर दूँ
मैं वो दीवाना हूँ पत्थर को मोम कर दूँ.’
अब आँखें नोचने की बात हो रही है. सारे धर्म प्रेम के खिलाफ और नफरत के साथ हैं.
नफरत पुष्पित-पल्लवित है और प्रेम प्रताड़ित.
‘नमन’
२/११/२०१

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