Friday, 14 October 2016

नमन






वो मुझसे आजकल बेहद अदब से पेश आता है
कहीं ऐसा तो नहीं उसे मुझसे मोहब्बत न रही। नमन
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उसकी मुस्कान से भी दर्द छलक आता है
'नमन' वो रो पड़ा तो कौन संभालेगा तुझे। नमन

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रहम न कर तू गर सजा का मुस्तहक हूँ मैं
न तेरा प्यार मिले तो तेरी सजा ही सही। नमन


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यहाँ कुछ बात ऐसी चल रही है 
जो अपने देश को ही छल रही है.


हवाओं में नफरत पल रही है
कायरता आलापें भर रही है.

है वीरों ने चुप्पी साध रखी
बहु अब भी घरों में जल रही है.
परायों को लगाते हैं गले हम 
अपनों के सीने पे गोली चल रही है.
नया इतिहास रचा जा रहा है
सत्य की चिता भक भक जल रही है.
नमन


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उसे अपना बनाने की बहुत की कोशिशे मैंने
न होती खुद से जो गाफिल वो मेरी हो गयी होती.
उसकी तन्हाईयों में भी कोई शामिल रहा होगा
ये उसकी सादगी है वर्ना वो खफा हो गयी होती. नमन

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तुम्हारी याद आने पर छलक पड़ती हैं ए आँखें
तुम्हारे पास होने पर मंजर जाने क्या होगा? नमन

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जब तुम्हे बोझ लगे मेरी मोहब्बत यारों
उसी पल मेरी मोहब्बत से मुकर जाना तुम। नमन
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वो हुसेन हों, ईसा हों या कि गाँधी हों 
सबको मारा है मजहब के ठेकेदारों ने।
किसी को करबला में मारा, किसी को सूली दी 
किसी को गोली मारी नफरत के पैरवोकारों ने। नमन

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वो शख्श जो कि मोहब्बत को दाग कहता है
मोहब्बत उसने भी छिप छिप के कभी की होगी। नमन

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न कोई ख्वाब हैं, न ख्वाहिशें, न उम्मीद कोई
बे वजह आए जमीं पर, बे वजह रुख्सत हुए। नमन


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जब भी उससे दिल की बातें की गई दिल खोल कर
आँख से आँसू निकल आए किवाड़े खोल कर। नमन

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सिसकियाँ ले ले कोई याद करता है मुझे
हिचकियाँ ले ले के मेरी जान न जाए निकल। नमन

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