ज़ख्म भरते नहीं मेरे दिल के
आज कल दिन हैं बड़ी मुश्किल के.
आज कल दिन हैं बड़ी मुश्किल के.
मजहबी आग में जला वो चमन
जिसमे रहते थे लोग हिल-मिल के.
जिसमे रहते थे लोग हिल-मिल के.
अक्ल ताक़त था गुमान जिसे
उसने दम तोडा पास मंजिल के.
उसने दम तोडा पास मंजिल के.
दिल और जान लुटा बैठा हूँ
मैं सादगी पे अपने कातिल के.
मैं सादगी पे अपने कातिल के.
हिन्द का खो रहा अमन है 'नमन'
हाथ में सत्ता है इक गाफिल के .
हाथ में सत्ता है इक गाफिल के .
'नमन'
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