ये अपना बोझ अपने सिर पे ले के चला है
चाहे गरीब है मगर इंसान भला है.
आँखों में इसके आंसू हैं दिल में तूफान है
जो हारता नहीं वो मेरा हिंदुस्तान है.
पत्थर का कलेजा है ज़ख्म ज़ख्म है सीना
पर जिद है उसकी है यहीं जीना-यहीं मरना.
बेशर्म है सरकार और बेशर्म व्यवस्था
मेरे हिन्द की ये हो रही है कैसी अवस्था?
जी में ये आता है की ये तंत्र जला दूँ
जो है निकम्मा ऐसा यह गणतंत्र जला दूँ.
इन भ्रष्ट अफसरों का बोझ अब न उठाओ
यदि हो सके तो इनको इस धरती से उठाओ.
'नमन'
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