Sunday 24 July 2016

इलज़ाम

            इलज़ाम


जितना हम पर ज़ुल्म बढेगा सत्ता के गलियारों से 
उतना आसमान गूंजेगा इन्किलाब के नारों से.
जय हिन्द ! 'नमन'

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जिसको करता हूँ प्यार उसको ही मालूम नहीं

वरना तो दुनियां को पता है की मोहब्बत है हमें. 'नमन'
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क्यों न चाहें तुझे, क्यों न पूजें, क्यों न तुझसे मोहब्बत करें
बेवफा हो मगर मेरी जान हो, क्यों न तेरी इबादत करें. 'नमन'


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आप गर हमको भुला दें तो कोई बात नहीं
आपको भूल जाऊं ए मेरी औकात नहीं। 
और भी गम दो हमे और भी सितम ढाओ
दूर जाना था तो करनी थी मुलाकात नहीं। नमन


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बस इसी बात पर यह शहर खफा है हमसे 
क्यों झूठ को झूठ और सच को सच कहा हमने. 'नमन'


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उस पे इलज़ाम लगाऊं तो लगाऊं कैसे
दिल मेरा टूट गया अपनी ही नादानी से. 'नमन'


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जब दिल ही नहीं रहा तो दर्द भी नहीं रहा
चुराया दिल मेरा फिर उसने उसे तोड़ दिया . 'नमन'


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इस दौर के लोगो में अब ईमान नहीं है
हिन्दू हैं, मुसलमान हैं, इंसान नहीं है ।
जज्बा है दिल में हाथों को काम नहीं है
कौन सा शख्स है यहाँ जो परेशान नहीं है। 'नमन


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