Saturday 9 April 2016

सत्ता और कुर्सी की लालच


सत्ता और कुर्सी की लालच में संघ और बीजेपी के नेता भारत को जिस विनाश के रास्ते पर ढकेल रहे हैं वहां से वापस आना असंभव नहीं तो अत्यंत कठिन अवश्य होगा. संघ और उसके सहयोगी संगठन लगातार भारत का हिन्दू तालिबानीकरण करने में लगे हैं. 
बीजेपी की मजबूरी यह है की उसके पास कांग्रेस से अलग न तो कोई अर्थ नीति है न विदेश नीति. न तो उसके पास किसानों के लिए कोई बेहतर सोच है न मजदूरों और उद्योगों के लिए. इस तरह केन्द्रीय राजनीती में बीजेपी कांग्रेस की ‘बी’ टीम ही नज़र आती है. 
अगर भारत की पिछले ४ दशकों की राजनीती पर नज़र डाले तो विचार और नीति के स्तर पर बीजेपी का दिवालियापन साफ़ नज़र आता है . ८० के दशक में देश के कम्प्युटरायजेसन के खिलाफ संसद तक बैलगाड़ी मोर्चा निकालने वाली बीजेपी १९९९ आते आते उसकी प्रशंसा करने लगती है. राजीव गाँधी के टेलीकम्युनिकेसन क्रांति की बात का संसद से सड़क तक मज़ाक उड़ाने वाले बीजेपी नेता सन २००० आते आते राजीव गाँधी के मुरीद बने नज़र आते हैं. पिछले दशक की ही बात लें तो FDI, GST, भारत अमेरिकी परमाणु समझौते, आधार कार्ड, रेल किराये में वृद्धि आदि का लगातार विरोध करने वाली बीजेपी सत्ता में आते ही उन्ही योजनाओं के कार्यान्वयन में अपनी पूरी ताकत लगाने की बात करती नज़र आती है जिनका विरोध वह कांग्रेस शासन में करती रही थी .यह सब यह साबित करता है की बीजेपी के पास अपनी स्वतंत्र आर्थिक, औद्योगिक, विदेश या रक्षा नीति नहीं है. ऐसे में वह खुद को कांग्रेस से अलग कैसे साबित करे ?
यहाँ बीजेपी पाकिस्तान की नक़ल करती दिखाई देती है. पाकिस्तानी नेताओं के पास न तो विकास की अपनी कोई अवधारणा है न तो सोच. भूख गरीबी और बेकारी से वहां की जनता का ध्यान हटाकर सिर्फ और सिर्फ भारत के डर का भूत दिखा कर वहां के नेता सत्ता की राजनीती करते रहे हैं. 
यही काम भारत में बीजेपी कर रही है, पूर्व के राज्यों में बंगलादेशी घुसपैठियों का भय दिखा कर राजनीती की जा रही है और कश्मीर और दिल्ली वगैरह में 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का भूत खड़ा किया रहा है. 
देश के १०० करोड़ हिन्दुओं को १७ करोड़ मुसलमानों का डर दिखा कर देश का हिन्दू तालिबानीकरण करने का प्रयास संघ पिछले कई दशको से कर रहा है. जिस ढंग से हिन्दू अतिवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है यह भविष्य में हिन्दुओं के विनाश का कारण बनेगा. यह हिन्दू अतिवाद भारतीय राजनीती में ओवैसी जैसे मुस्लिम अतिवादी नेताओं को भी स्थापित कर रहा है. 
पाकिस्तान सहित अफगानिस्तान, ईराक, सीरिया आदि देश इसका उत्कृष्ट उदाहरण हैं की आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता. इन देशों में तीन दशकों से जादा समय से मुसलमान ही मुसलमान को लगातार मार रहा है. करोडो मुसलमान मुस्लिम आतंकवाद का शिकार हो चुके हैं और यह सिलसिला कहीं थमता नज़र नहीं आता . इन राष्ट्रों का कितना विनाश हुआ है यह किसी से छिपा नहीं है. 
भारत में ही देखे तो सिख धर्म के नाम पर खालिस्तानी आतंकवादियों ने सबसे जादा सिखों की ही जाने ली. पंजाब का कितना नुकसान हुआ और पंजाबी नौजवान कैसे नशे की गिरफ्त में फंसा यह किसी से छिपा नहीं है. 
कश्मीर में सबसे अधिक कश्मीरी मुस्लिम ही आतंकवाद का शिकार हुए हैं. कश्मीर की अर्थव्यवस्था को पिछले सालों में लाखों करोड़ का नुकसान पहुंचा है. कश्मीर का मुसलमान जान गया है की अतिवाद से किसी का भला नहीं हुआ है न होगा. आज फिर घाटी के सारे मुसलमानों को देशद्रोही साबित करने की कोशिश की जा रही है. 
धार्मिक अतिवाद कैसे धीरे धीरे अपने पैर जमाता है और फिर अपने पैदा करने वाले को भी नहीं बक्सता, पाकिस्तान इसका उत्कृष्ट उदाहरण है. संघ और बीजेपी भी यह बात जानते हैं की जिस हिन्दू अतिवाद का बीज वे बो रहे हैं, वह ऐसा भष्मासुर है की कल वह उन्हें भी नहीं बक्सेगा. तुच्छ राजनैतिक स्वार्थ का परदा संघ और बीजेपी नेताओं की आँखों पर पड़ा हुआ है उसकी वजह से इन्हें इसकी भयावहता दिखाई नहीं पड रही है. 
राजनेता भूल रहे हैं की यदि देश है और देश में प्रजातंत्र है तभी वे है अन्यथा उनका कोई अस्तित्व नहीं होगा. 
‘नमन’

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