BATKAHI
कहा कहा फिर फिर कहा, लेकिन कहा न जाय| जब भी कहा कुछ अनकहा, पीड़ा बरनि न जाय||
Wednesday 23 March 2016
नेता सियारों का
ए सत्ता का मद है
या नद है विकारों का
बह रहा मवाद है
इसमें संस्कारों का.....
गर्व अज्ञानता का
भ्रम है महानता का
कर्महीन स्वर है
हमारे कर्णधारों का .....
शेरों की खाल ओढ़े
देख लोमड़ियों के झुण्ड
होशियार बन बैठा
नेता सियारों का ......
नमन
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