Monday 14 September 2015

मेरा यार












गुजरा है जिधर से भी मेरा यार शहर में 
लाखों को किया इश्क का बीमार शहर में.

देखा उसे तो चाँद भी शर्मा के छिप गया 
सब उसकी मोहब्बत में गिरफ्तार शहर में.
ईमान की छोडो हजारों जान ले गया
दिल वालों में मचा है हाहाकार शहर में.

पलकें बिछाए बैठे हैं राहों में हजारों
मेरे यार के लाखों हैं तलबगार शहर में.
सडकों पर उतर आये हैं बूढ़े और नौजवान
करने हमारे यार का दीदार शहर में .
देखो जहाँ वहीँ पर उसके हुश्न की चर्चा
सब लोग भुला बैठे हैं घर बार शहर में.

हम लुट गए 'नमन' शहर का चैन लुट गया
वो कर रहा है प्यार का व्यापार शहर में .  'नमन'

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